चाईबासा(CHAIBASA): राज्य के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव राजेश कुमार शर्मा का मंगलवार को पश्चिमी सिंहभूम जिला में दौरा था. विभाग सचिव का गोईलकेरा, सोनुवा व चक्रधरपुर प्रखंड में संचालित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय का भ्रमण कार्यक्रम था. मगर सचिव सोनुवा के कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में छात्र, शिक्षिका और अभिभावक के साथ बैठक कर रांची वापस लौट आएं, उन्होंने बाकी विद्यालय का दौरा नहीं किया. 

गोइलकेरा KGBV में छात्राओं को नहीं मिल रहा जरूरी सामान
कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय (केजीबीवी) में छात्राओं को महीने में केवल एक साबुन दिया जा रहा है. जिले के कस्तूरबा स्कूलों में बाजार मूल्य से अधिक कीमतों पर चिकन, मछली और अन्य सामानों को खरीदा जा रहा है. छात्राओं को मिलने वाले सामानों में कटौती का यह नया मामला है. सोमवार को गोइलकेरा की प्रमुख निरुमानी कोड़ाह, जिला परिषद सदस्य ज्योति मेराल, मुखिया सुनीता मेराल और पंचायत समिति सदस्य बानी सिन्हा ने औचक निरीक्षण कर इस मामले का खुलासा किया है. निरीक्षण के दौरान बच्चियों ने बताया कि स्कूल प्रबंधन उन्हें महीने में नहाने के लिए महज एक साबुन और कपड़े धोने के लिए भी साबुन की केवल एक टिकिया दी जाती है.

क्या है पूरा मामला

पश्चिमी सिंहभूम जिले में 20 कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय है. जिसमें सामान आपूर्ति के लिए टेंडर निकाला गया था जो विवादों में रहा था. दरअसल, एपेक्स इंटरप्राइजेज, बालाजा ट्रेर्डस, जय अंबे ट्रेर्डस और नमन इंटरप्राईजेज इन चार संवेदक को विद्यालय में सामान आपूर्तिकर्ता के रूप में शिक्षा विभाग नें निविदा लिया था. विभाग के द्वारा दिए गए शर्तो पर नमन इंटरप्राईजेज खरा उतरा और इनका निविदा फार्म को स्वीकार भी कर लिया गया. लेकिन बाद में नमन इंटर प्राईजेज को रिजेक्ट कर दिया गया और बाकी तीनों आपूर्तिकर्ता को बगैर टेंडर किए ही सामान आपूर्ति का जिम्मा दे दिया गया. 

वहीं, शर्त के अनुसार सभी सामान आपूर्तिकर्ता को अग्रीम राशि के रूप में 32-32 लाख रूपया जमा करना था लेकिन विभाग नें पहले 32-32 लाख रूपये लिए और फिर 20-20 लाख रूपया तीनों को वापस कर दिया गया, जो नियम के विरूद्ध है. इसके बाद विद्यालयों में सामान आपूर्तिकर्ता व विभाग के पदाधिकारियों के बीच सांठ-गांठ का खेला शुरू हो गया. जिसके बाद 700 रूपया किलो से ज्यादा के दाम पर मछली स्कूल को स्पलाई होने लगी. The News Post ने जब इस खबर को प्रमुखता से चलाया तब उपायुक्त ने मामले को संज्ञान में लेते हुए जांच के आदेश दिए. जांच के लिए तीन लोगों की टीम बनाई गई और एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट सौंपने को कहा गया. मगर 12 दिन हो जाने के बाद भी रिपोर्ट नहीं दी जाती है. तब इसकी खबर दोबारा हमारी टीम चलाती है और इस बार आनन-फानन में शिक्षा विभाग स्कूल के लेखापाल और वार्डन को फाइल के साथ बुलाती है. आपको ये भी बता दें कि पिछले 14 साल से ये कंपनी ही स्कूलों में सामानों की आपूर्ति करते आ रहा है. अब देखने वाली बात ये होगी कि इन कंपनियों पर कार्रवाई कब तक होती है.

रिपोर्ट: संतोष वर्मा, चाईबासा