जमशेदपुर(JAMSHEDPUR): पूर्वी सिंहभूम जिला का सबसे बीहड़ और पहाड़ी इलाका ओड़ीसा सीमावर्ती क्षेत्र के पास चट्टानी पानी गांव है. इस गांव के लोगों ने श्रमदान करके लकड़ी का पुल बनाया है. आजादी के इतने साल बाद भी लोगों को खुद से लकड़ी का पुल बनाना पड़ रहा है तो सोच लिए वहां की जमीनी हकीकत क्या होगी. पुल बनाने के बाद अब ग्रामीण ओड़ीसा आना-जाना कर रहे हैं. इस के पुल के जरिए अब चट्टानीपानी गांव के बच्चे स्कूल आते-जाते हैं. लकड़ी का पुल बनने के बाद पूर्वी सिंहभूम जिला के लोकपाल रतन महतो डुमरिया ने प्रखंड के अधिकारियों के साथ पुल का निरीक्षण किया. लोकपाल पुल पर पैदल चले और ग्रामीणों से मिलकर लकड़ी के पुल से संबंधित समस्या जानी.

आपको बता दें कि चाईबासा के मनोहरपुर में इसी तरह चाईबासा के लोकपाल लकड़ी के पुल का सर्वे कर रहे थे और उसी दौरान लोकपाल लकड़ी के पुल से असंतुलित होकर नदी में गिर पड़े थे. ठीक इसी तरह पूर्वी सिंहभूम के लोकपाल रतन महतो ने भी चट्टानी पानी गांव के लकड़ी के पुल का सर्वे किया. हालांकि यहां कोई हादसा नहीं हुआ. निरीक्षण के बाद लोकपाल ने भरोसा दिया कि उनकी आवाज जो सरकार तक पहुंचायेंगे.

लोकपाल के सर्वे से ग्रामीण खुश तो हैं लेकिन पुल बनेगा इसकी अब वे उम्मीद  छोड़ चुके हैं. ग्रामीण हर साल श्रमदान कर लकड़ी का पुल बनाते हैं. वहीं, इस मामले में बुर्जुग ग्रामीण बताते हैं कि जन्म से ही लकड़ी के पुल पर ही आना जाना करते हैं. उनका कहना था कि हमारे बेटे के साथ-साथ नाती, पोता भी इसी लकड़ी के पुल से स्कूल जा रहे हैं. पुल बनाने की मांग वर्षो पुरानी है, पंचायत से लेकर जिला तक और जिला से राज्य तक गुहार लगा चुके हैं. विधायक, सांसद से लेकर मुख्यमंत्री तक आवेदन दे चुके हैं. मगर अबतक पुल नहीं बना है और न ही पहल किया गया है. ग्रामीणों का कहना है कि उनकी किस्मत में लकड़ी के पुल पर ही आना जाना लिखा है.

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आपको बता दें कि ये लकड़ी का पुल चट्टानीपानी गांव समेत जोजोगोड़ा, कासीबेड़ा, कोलाबेड़िया, जानेगोड़ा, बेसरपहाड़ी, भागाबांधी समेत अन्य गांव के ग्रामीणों के लिये जीवन रेखा है. इसी लकड़ी के पुल पर गांव के ग्रामीण ओड़ीसा जाते हैं. चट्टानीपानी गांव के बाद ओड़ीसा का पहला गांव कुसुमघाटी और उसके बाद रायरंगपुर होते हुए बारीपदा ग्रामीणों का आना जाना है. लकड़ी का पुल अगर कंक्रीट का पुल बन गया तो ओड़ीसा और झारखंड दोनों राज्यों के ग्रामीणों को बेहद फायदा होगा. ओड़ीसा से ही कई किसान डुमरिया के हाट बाजार आते हैं और झारखंड डुमरिया प्रखंड से भी कई किसान खरीदारी के लिए ओड़ीसा बाजार जाते हैं.

रिपोर्ट: प्रभंजन, जमशेदपुर