रांची(RANCHI): झारखंड की राजनीति में पिछले कुछ महीने से हचचल मची हुई थी. खबरें थी कि भाजपा झारखंड में वर्तमान सरकार को गिराकर राज्य में नई सरकार बनाना चाहती थी. जिसके लिए भाजपा अन्य दलों के विधायकों से संपर्क में थी. इसकी झलक राष्ट्रपति चुनाव के दौरान देखने को भी मिला, जब राष्ट्रपति चुनाव के दौरान खासकर झारखंड कांग्रेस के 9 विधायकों ने एनडीए प्रत्यासी द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोट किया. हालांकि कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों को यशवंत सिन्हा के पक्ष में वोट करने को कहा था. बावजूद इसके कांग्रेस के 9 विधायकों ने पार्टी की बात ना मानते हुए द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोट किया. जिसके बाद से चर्चाएं ये चलने लगी कि भाजपा कांग्रेस विधायकों को अपने पक्ष में लाना चाहती थी और कांग्रेस के दो तिहाई विधायक के संपर्क में थी. हालांकि भाजपा पर झारखंड में सरकार को गिराने का आरोप पहले भी लगते रहा है.

10 करोड़ और मंत्री पद

झारखंड में ‘ऑपरेशन लोटस’ का मामला तब सच साबित हुआ जब झारखंड कांग्रेस के तीन विधायक को पश्चिम बंगाल की पुलिस ने 48 लाख नगद के साथ पकड़ा. हालांकि अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि पैसे भाजपा ने दिए थें या पैसे किसी और के थें. जैसे ही तीनों विधायक पुलिस के गिरफ्त में आते हैं, उसके अगले दिन यानी 31 जुलाई को झारखंड कांग्रेस के एक अन्य विधायक अनूप सिंह अरगोड़ा थाना में पकड़े गए तीनों कांग्रेस विधायक के खिलाफ मामला दर्ज करते है. दर्ज एफआईआर में उन्होंने कहा है कि पकड़े  गए तीनों विधायक इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन विक्सल कोंगाड़ी ने मुझे भाजपा के साथ मिलकर वर्तमान सरकार गिराने की बात कही थी. इसके लिए मुझे प्रत्येक विधायक 10 करोड़ और मंत्री पद का ऑफर दिया था. इसके अलावा असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा से मुलाकात की भी बात कही थी. उन्होंने दर्ज एफआईआर में कहा था कि मैं इस असंवैधानिक कार्य का हिस्सा नहीं बनना चाहता था इसलिए मैंने पार्टी आलाकमान को इसकी जानकारी दी और मामला दर्ज किया. हालांकि इसके एक दिन बाद भाजपा असम के मंत्री ने अनूप सिंह का फोटो ट्वीट किया, जिसमें वो असम के मुख्यमंत्री से मुलाकात करते नजर आ रहे थें. इस फोटो के वायरल होने के बाद अनूप सिंह ने कहा कि इस बात की जानकारी कांग्रेस आलाकमान को पहले से ही थी. मैंने पार्टी को इसके बारे में बता दिया था. यहीं से ऑपरेशन लोटस के फेल होने की कहानी की शुरुआत होती है.

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क्या डबल एजेंट की भूमिका में थे अनूप सिंह
कांग्रेस विधायक अनूप सिंह कांग्रेस आलाकमान के कहने पर ही भाजपा से मिले थे. अनूप सिंह ने खुद इस बात को कई बार मीडिया के सामने कहा है. ऐसे में कहा ये भी जा रहा है कि वो भाजपा का साथ देकर कांग्रेस के बागी विधायकों का पता लगाना चाहते थे. यानी कि वो बीजेपी का साथ होने का दिखावा कर रहे थे और बीजेपी के प्लानिंग का सारा लेखा जोखा कांग्रेस तक पहुंचा रहे थे.

क्या ठोस सबूत पेश कर पायेंगे अनूप

कांग्रेस विधायक अनूप सिंह ने कहा था कि तीनों विधायक ने मुझे 10 करोड़ और मंत्री बनने का ऑफर दिया था. ऐसे में सवाल यह भी खड़ा होता है कि क्या अनूप सिंह खुद को बचाने के लिए तो तीनों विधायक पर इल्जाम नहीं लगा रहे हैं. क्या सच में अनूप सिंह कांग्रेस की तरफ ही थे या तीनों के पकड़े जाने के बाद वो ऐसा कदम उठा रहे हैं. क्या कांग्रेस आलाकमान इनसे भी कोई ठोस सबूत की मांग कर सकती है. जब कोलकाता पुलिस या सीआईडी की टीम अनूप सिंह से पुछताछ करेगी तो वो उन्हें कोई ठोस सबूत दे पायेंगे.  

क्या पार्टी के पास तीनों विधायक के खिलाफ कोई ठोस सबूत
कांग्रेस आलाकमान ने जब से पकड़े गए तीनों विधायकों को सस्पेंड किया है, तब से ही एक चर्चा ने जोर पकड़ लिया है. जानकारों का कहना है कि पार्टी आलाकमान के पास महज 48 लाख रुपए कैश मिलना तो उन्हें पार्टी से सस्पेंड करने के लिए काफी नहीं था. तो क्या कांग्रेस आलाकमान के पास तीनों विधायक के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत थे. क्या अनूप सिंह ने आलाकमान को कोई सबूत सौंपे थें. क्या फोटो, कॉल रिकोर्डिंग या कोई और सबूत पार्टी को मिल चुकी है. ये तो समय आने पर ही पता चलेगा.

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तीनों विधायक का अभी तक कोई बयान नहीं हुआ हैं जारी 
इस सभी से अलग पकड़े गए तीनों कांग्रेस विधायक का कोई बयान अभी तक नहीं आया है.   देखने वाली बात ये होगी कि पकड़े गए कांग्रेस विधायक जब अपना पक्ष रखेंगे तब वो क्या जानकारी देंगे. अनूप सिंह और भाजपा के साथ संबंध के बारे में क्या बोलेंगे. क्या उनके बाहर आते ही कई और विधायक के नाम सामने आने शुरू हो सकते हैं.

जेएमएम का रुख कड़ा
झारखंड की राजनीति में एक समय ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जेएमएम-कांग्रेस का गठबंधन टूट जाएगा. जेएमएम और भाजपा साथ मिलकर सरकार बना लेंगे. ऐसा हम इसलिए बोल रहे हैं क्योंकि जो हेमंत सोरेन सरकार बनाने के बाद से ही भाजपा पर सारा दोष डालते नजर आते थे उनके रुख भी बदले-बदले से नजर आ रहे थें. चाहे प्रधानमंत्री की तारीफ हो या देवघर एयरपोर्ट पर उनका स्वागत. राष्ट्रपति चुनाव के दौरान जेएमएम का द्रौपदी मुर्मू को समर्थन. सभी फैसले उसी ओर इसारा कर रहा था. ऐसा लग रहा था जेएमएम भाजपा के साथ जा सकती है. लेकिन अब जेएमएम ने भी अपना रुख कड़ा कर दिया है, जेएमएम, भाजपा पर जमकर हमला बोल रही है. ऐसे में अब जेएमएम-भाजपा की सरकार बनना मुश्किल है, हालांकि राजनीति में कुछ भी हो सकता है.

क्या बीजेपी के पास प्लान B है
वहीं, चर्चा ये भी है कि क्या भाजपा इन सभी से परे कुछ और प्लान कर रही है. भाजपा के पास इसके अलावा भी कोई और प्लान है. तीन विधायक के पकड़े जाने से झारखंड में ऑपरेशन लोटस सच में फेल हो गया. अमित शाह जैसे चाणक्य के होते आखिर झारखंड में प्लान कैसे फेल हो गया. क्या ये भी भाजपा की राजनीति का हिस्सा है. क्योंकि भाजपा ने इससे पहले भी कई राज्य में ये कारनामा कर दिखाया है. चाहे बात महाराष्ट्र की हो, मध्यप्रदेश की, गोवा की भाजपा हर जगह सफल रही है. ऐसे में इतनी आसानी से यह कह देना कि भाजपा का ऑपरेशन लोटस फेल हो गया थोड़ी जल्दबाजी होगी.

किस पार्टी के पास कितने विधायक 

जेएमएम- 30

बीजेपी- 26

कांग्रेस- 18 

आरजेडी- 01

एनसीपी- 01

निर्दलीय- 02

आजसू- 02

सीपीआई(एम-एल)- 01

खैर, क्या अनूप सिंह भाजपा से मिलकर कांग्रेस के उन विधायकों का पता लगाना चाहते थे जो भाजपा के संपर्क में थे या प्लान कुछ और था. क्या अब कांग्रेस पार्टी अनूप सिंह को इसका उपहार देगी? क्या अनूप सिंह को हेमंत सोरेन के मंत्रिमंडल में मंत्री का पद मिलेगा? क्या सच में ऑपरेशन लोटस झारखंड में फेल हो गया है? इन सभी सवालों का जवाब हम आपको अगली स्टोरी में बतायेंगे. ऐसी ही और खबरों के लिए बने रहें The News Post के साथ.

कॉपी: विशाल कुमार, रांची