टीएनपी डेस्क (TNP DESk) : झारखंड में पेंशन का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है. एक तरफ जहां झारखंड सरकार हर महीने मंईयां योजना के तहत 2500 रुपये हर महीने महिलाओं के खाते में भेज रही है तो दूसरी तरफ करीब 23 वर्षों से शिक्षा विभाग में कार्यरत लाइब्रेरियन के पेंशन को भुगतान नहीं किया है. अब इस मामले को लेकर हाईकोर्ट से सरकार से नाराजगी जताई है. यही नहीं कोर्ट ने ये भी टिप्पणी कर दी है कि एक तरफ सरकार के पास विधवा को पेंशन देने के लिए पैसे नहीं हैं लेकिन चुनावी वादे पूरे करने के लिए मंईयां योजना समेत अन्य योजनाओं के तहत लोगों को सीधे खाते में पैसे भेजे जा रहे हैं.
जानिए क्या है पूरा मामला
रतन देवी नाम की प्रार्थी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. दायर याचिका में कहा गया है कि उनके पति राजशेखर तिवारी चतरा जिले में लाइब्रेरियन थे. उन्हें वर्ष 1999 से 2022 तक का भुगतान नहीं मिला, जो करीब 18.68 लाख रुपये है. चतरा के जिला शिक्षा पदाधिकारी ने भी उक्त राशि बकाया होने की बात स्वीकार की है. उनकी ओर से दायर हलफनामे में कहा गया कि सरकार की ओर से यह राशि आवंटित नहीं की गई है. आवंटन के बाद प्रार्थी को बकाया राशि का भुगतान कर दिया जाएगा. सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि प्रार्थी के पति का निधन हो चुका है. बकाया भुगतान अब तक नहीं किया गया है, जिसके कारण उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है.
मामले की जस्टिस आनंद सेन की अदालत में हुई. अदालत ने सरकार से हलफनामा दाखिल कर मंईया योजना और चुनाव के दौरान किए गए अन्य वादों को पूरा करने के लिए सीधे खातों में भेजी गई नकदी का ब्यौरा देने को कहा है. इसके साथ ही कोर्ट ने खाते में राशि कब जमा हुई, इसकी भी जानकारी मांगी गई है. कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को खुद हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.
वहीं इस मामले में चतरा के डीईओ ने 19.07.2024 को ही हलफनामा दायर कर कहा है कि भुगतान के लिए राशि मांगी गई है. राशि मिलते ही भुगतान कर दिया जाएगा. याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार ध्यान नहीं दे रही है, जबकि चुनावी वादों को पूरा करने के लिए लाभुकों के खाते में मुफ्त में पैसे दे रही है.
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