टीएनपा डेस्क (TNP DESK) - हर लड़की सपने देखती है, घोड़े पर सवार होकर सुंदर सा राजकुमार आएगा और उसे सितारों के संसार में लेकर जाएगा. लेकिन बड़े होने के साथ साथ यह सपना धुंधला हो जाता है. लड़कियां असली दुनिया के बीच रह कर उसके अच्छे बुरे पहलू से रुबरु होती हैं. हम एक ऐसी ही शादी की चर्चा करने वाले हैं. जिसमें सपने तो थे, लेकिन उसे हकीकत के धरातल पर पहुंचने में कई सवाल खड़े हो गए हैं. कहानी बड़ोदरा की क्षमा बिंदु की है. बात यूं है कि वो शादी तो करने जा रही हैं लेकिन दुल्हा कोई नहीं है. अब परंपरागत समाज में सवाल उठने तो लाजिम हैं.

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 क्या है sologamy

बड़ोदरा  में 11 जून को होने वाली इस शादी में बैंड-बाजा तो होगा लेकिन बरात नहीं. मंडप में बैठी दुल्हन तो होगी लेकिन घोड़े पर सवार दूल्हा नहीं. जैसा की हमनें बताया क्षमा बिंदु खुद से ही शादी करना चाहती हैं. हालांकि ऐसा कुछ हिंदुस्तान में पहले कभी नहीं हुआ हैं. लेकिन क्षमा इस stereotype को तोड़ते हुए खुद से शादी करने को तैयार हैं. बता दें कि ये भारत का पहला मामला हैं. विदेशों में इसे sologamy कहा जाता हैं. शमा बिंदु को किताबों से sologamy  के बारे में पता चला. इसके बाद ही उन्होंने खुद से शादी करने का फैसला लिया. क्षमा की ख़ुशी देखते हुए उनके माता-पिता भी उनके साथ हैं. हालांकि भारतीय समाज इसे किस हद तक समर्थन देगा ये देखने वाली बात होगी.

क्या कानून देगा इसे इजाज़त

अगर बात भारतीय कानून की करें तो वो sologamy को मान्यता नहीं देती है. इस पर धीरज कुमार, अधिवक्ता, हाई कोर्ट का कहना है कि भारतीय कानून के अनुसार भारत की लड़कियों को खुद से ही शादी करने की इजाज़त नहीं हैं.

परपंच

खुद से प्यार करना, खुश रहना और लोगों की परवाह न करना गलत नहीं हैं. इस तरह सोचा जाये तो sologamy भी गलत नहीं हैं. लेकिन समाज में कुछ अलग और नया करना आसान बात नहीं हैं. जैसा कि अपने हाई कोर्ट के वकील धीरज कुमार से सुना कि भारतीय कानून इस तरह की शादी को मान्यता नहीं देता है. ऐसे में क्षमा अपने तो कमाल ही कर दिया. आपने भले ही लाइमलाइट (limelight) में आने के लिए परपंच किया हो लेकिन आपके इस फैसले से वकील से लेकर पंडित तक सभी परेशान हो गए हैं. शादी दो दिलों के साथ दो परिवारों का मिलन होता हैं, लेकिन इस शादी में ऐसा कुछ नहीं होगा. ऐसे में ये शादी हैं या तमाशा, इसका फैसल तो अब हमारा समाज ही करेगा.