टीएनपी डेस्क(TNP DESK): योगिनी एकादशी अषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष का एकादशी है. जिसे योगिनी एकादशी कहा जाता है. हिंदू धर्म में इसका लंबी परंपराऔर महत्व है. 23 जून को रात्रि 9:41 बजे से शुरू हो रहा है. लेकिन सूर्योदय में पड़ने के कारण 24 जून को रात्रि 11:12 बजे तक रहेगी. शास्त्रों के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी का व्रत रखते है. योगिनी एकादशी का व्रत करने से समृदिध और खुशी की प्राप्ति होती है. यह व्रत तीनी लोकों में प्रसिद्ध है. योगिनी एकादशी व्रत रखने से 88 हजार ब्राहाणों को भोजन कराने के बराबर का पुण्य मिलता है.
हरि विष्णु को लगाएं खीर, हलवे का भोग
योगिनी एकादशी के दिन सुबह-सुबह स्नान करने के बाद घर के मंदिर की अच्छी तरह से साफ-सफाई से करें.उसके बाद भगवान हरि विष्णु की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं.और घी का दीपक जलाकर विष्णुसहस्त्र नाम स्त्रोंत का पाठ करें. इस दिन भगवान विष्णु को खीर या हलवे का भोग लगाएं और भोग में तुलसी जल को अवश्य उपयोग करें.
वैज्ञानिक अनुसार चावल में पानी की मात्रा ज्यादा होती है. जल पर चंद्रमा का ज्यादा प्रभाव पड़ता है. चावल खाने से शरीर में जल की अधिकता होती है. मतलब उसकी मात्रा बढ़ती है, इससे मन पर उसका प्रभाव होता है, और मन एकाग्र होने की बजाय चंचलता की ओर अग्रसर होता है. मन चंचल होने की स्थति में इसका बुरा प्रभाव पड़ता है. फिलहाल अकादशी के दिन चावल खाना वर्जित है.और इस दिन चावल का सेवन शास्त्रों में बिल्कुल मना है.
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