आजकल लोग अपनी भागदौड़ की जिंदगी में इतने व्यस्त हैं कि वो खुद को भी समय नहीं दे पाते हैं इसी वजह से लोगों की ज़िंदगी से रुचि ख़त्म होने लगती है और रोज़मर्रा के कामकाज से मन उचट जाता है साथ ही बहुत से लोग जरा जरा सी बातों पर बहुत अधिक तनावग्रस्त होने लगते है ….. जिसमें लगातार बदलता लाइफस्टाइल, अपेक्षाओं का बोझ, जिम्मेदारियों को तेजी से पूरा करने की ललक, आगे बढ़ने की होड़- ये ऐसे कारक हैं जो समाज में डिप्रेशन को बढ़ावा दे रहा है..
क्या है डिप्रेशन
अवसाद यानि डिप्रेशन एक मानसिक बीमारी है जिसे किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकता है यह एक ऐसी अवस्था है जिसमे व्यक्ति के मन और दिमाग में निगेटिविटी,चिंतन,तनाव और उदासी घेर लेता है .. ऐसे में व्यक्ति धीरे धीरे अपनी सोचने की क्षमता भी खोने लगता है
कैसे होता है डिप्रेशन
विशेषज्ञों का मानना है कि एक व्यक्ति के डिप्रेशन में आने के पीछे कई चीज़ों की अहम भूमिका होती है..... जैसे अपनी बार बार असफलता को लेकर , अपने भविष्य को लेकर जरुरत से ज्यादा ही सोचना, काम का दबाव , ज़िंदग़ी के कई अहम पड़ाव जैसे- किसी नज़दीक़ी की मौत, नौकरी चले जाना या शादी का टूट जाना, आम तौर पर डिप्रेशन की वजह बनते हैं.
क्या कहता है सर्वे
विश्व स्वास्थ्य संगठन सर्वे बताता है कि भारत में डिप्रेशन के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं. इस सर्वे के अनुसार भारत में करीब 46 प्रतिशत लोग गंभीर डिप्रेशन का शिकार हैं. भारत में आज डिप्रेशन दसवीं सबसे सामान्य बीमारी है. सर्वे के अनुसार भारत अन्य देशों की तुलना में डिप्रेशन से सबसे ज्यादा ग्रस्त है. .. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 18 देशों में करीब 90 हजार लोगों का सर्वेक्षण किया. इससे यह पता चला कि भारत में सबसे ज्यादा, 36 फीसदी लोग मेजर डिप्रेसिव के शिकार हैं.
प्रीति भारद्वाज
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