टीएनपी डेस्क(TNP DESK): वर्ष 2014 में मोदी मंत्रिमंडल गठन के साथ ही इस देश में एक नये प्रयोग की भी शुरुआत हुई. मीडिया मैनेजमेंट का खेल. यह खेल पहले ही खेला जाता था, लेकिन इस बार यह अपने चरम सीमा पर जा चुका. इस बार अपने नेताओं को एक प्रोडक्ट्स की तरह पेश किये जाने की शुरुआत हुई. जबकि दूसरे नेताओं को पप्पू साबित करने की होड़ शुरु की गयी. यह एक अलोकतांत्रिक और खतरनाक खेल था, लेकिन यह चलता रहा और राहुल गांधी भी इस खेल का शिकार हुए.
राहुल गांधी भी हुए इस खेल का शिकार
सेंट कोलंबस स्कूल, दिल्ली से प्रारम्भिक पढ़ाई की शुरुआत कर हार्वर्ड विश्वविद्यालय होते हुए फ्लोरिडा के Rollins College से स्नातक की डिग्री रखने वाले राहुल गांधी को एक सुनियोजित तरीके से पप्पू प्रचारित करने की मुहिम की शुरुआत हुई. उनकी छवि को बेहद एक नकारात्मक रुप से पेश किया गया.
आसान नहीं था मीडिया मैनेजमेंट
लेकिन यह मीडिया मैनेजमेंट इतना आसान भी नहीं था, मीडिया की थोड़ी समझ रखने वाले भी इस खेल के पीछ के खेल को भली भांति समझ रहे थें, साफ था कि इस मीडिया मैनेजमेंट के लिए बड़े संसाधनों की जरुरत थी. कांग्रेसी नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि राहुल गांधी को पप्पू साबित करने के लिए मीडिया मैनेजरों को एक अच्छी खासी रकम चुकाई जा रही थी. करदाताओं का पैसा राहुल को पप्पू साबित करने में लगाया जा रहा था. आम लोगों को यह समझाने की कोशिश की जा रही थी कि मीडिया निर्मित इस धारणा के बाहर जाकर कुछ भी सोचना और समझना गुनाह है.
भारत जोड़ो यात्रा ने बदल डाली राहुल की तस्वीर
लेकिन कहा जाता है कि हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है, हां, उसकी रफ्तार थोड़ी धीमी हो सकती है, लेकिन होनी तय है. कुछ यही हुआ राहुल गांधी के साथ, उनके करीबियों के द्वारा इस प्रचारित धारणा को तोड़ने के लिए एक नये प्रयोग की शुरुआत हुई, लेकिन इसमें मीडिया मैनेजमेंट के साथ ही भारत की यात्रा भी करनी थी, भारत और भारत के लोगों से जुड़ने की योजना थी, आम भारतीयों के दुख-दर्द को समझने की रणनीति थी. उन कारक-कारणों को समझने की कोशिश थी, जिसके कारण देश में लोगों को दिल बंट रहे थें.
भारत जोड़ो यात्रा भारत को समझने की कोशिश
यही कारण था कि राहुल गांधी ने भारत यात्रा की शुरुआत में कहा था और बाद में भी इसे दुहराते रहें है कि भारत जोड़ो यात्रा भारत को समझने की कोशिश है, देश में मौजूद विधटनकारी शक्तियों को चिह्नित करने की कवायद है. हम भारत को जोड़ने निकले हैं. इसी सोच के साथ मार्च 7 सितंबर को कन्याकुमारी से इस यात्रा की शुरुआत की गयी थी, जिसकी समाप्ति 30 जनवरी को श्रीनगर में होनी है.
हालिया सर्वे में बदली लोगों की राय, राहुल गांधी को भावी पीएम मानने की धारणा गंभीर हुई
अब जब इस यात्रा का समापन होने वाला है, एक सर्वे में इस बात की जानकारी मिली है कि आज देश के 50 फीसदी से अधिक लोग राहुल गांधी के बारे में अपनी धारणा बदल रहे हैं. अब राहुल गांधी को बेहद गंभीर और उर्जावान नेता माना जा रहा है. इन्ही 50 फीसदी लोगों में राहुल की छवि एक प्रधानमंत्री के रुप में बन रही है. यह आंकड़ा पिछले साल अक्टूबर के उस सर्वे के आंकड़े से कहीं ज्यादा है जब वायनाड एमपी को महज 42.6 फीसदी लोगों ने समर्थन दिया था.
50 फीसदी से अधिक लोग राहुल गांधी के बारे में रखते हैं सकारात्मक राय
यहां यह भी बता दें कि केरल में करीब 69 फीसदी लोग राहुल गांधी के काम से संतुष्ट हैं जबकि पिछले साल यही आंकड़ा 62.8 फीसदी था. तमिलनाडु में 60 फीसदी से ज्यादा लोग राहुल गांधी के काम से संतुष्ट हैं.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार
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