टीएनपी डेस्क(TNP DESK): झारखंड राज्य के पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केएन त्रिपाठी ने 30 सितबंर को कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन किया था. जिनका नामांकन आज 01, अक्टूबर, 2022 को खारिज कर दिया गया है. आपको बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए कुल तीन लोगों ने नामांकन किया था. जिसमें से एक का नामांकन खारिज कर दिया गया. अब अध्यक्ष पद की रेस में केवल शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खड़गे बचे हुए हैं. चलिए हम आपको बताते हैं केएन त्रिपाठी का राजनीतिक करियर? 

केएन त्रिपाठी  का राजनीतिक इतिहास 
केएन त्रिपाठी राजनीति में आने से पहले एयरफोर्स में थे. उन्होंने एयरफोर्स की नौकरी छोड़कर साल 2005 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार झारखंड के डालटेनगंज विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन उन्होंने लगातार अपने क्षेत्र में रहकर लोगों से मुलाकात करते रहे. जिसके बाद साल 2009 में कांग्रेस ने उनपर फिर भरोसा जताया और केएन त्रिपाठी ने पार्टी को निराश नहीं किया. उन्होंने इस चुनाव में जीत हासिल की.  वहीं, विधायक बनने के बाद उन्हें राज्य सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री बनने का मौका दिया गया.

झारखंड से पहले नेता जिन्होंने भरा कांग्रेस अध्यक्ष पद का नामांकन
केएन त्रिपाठी का नामांकन भले ही रद्द हो गया है. लेकिन उनके नाम एक रिकॉर्ड दर्ज हो गया है. केएन त्रिपाठी झारखंड कांग्रेस के पहले नेता हैं जिन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरा है. इससे पहले अभी तक झारखंड के किसी भी नेता अध्यक्ष पद  के लिए नामांकन नहीं किया है. इसके अलावा केएन त्रिपाठी इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं. 

खड़गे की जीत लगभग तय
खड़गे को अध्यक्ष पद के लिए नेहरू-गांधी परिवार का समर्थन प्राप्त है. वह उनके पुराने समय के पसंदीदा हैं. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मैदान में उतारने के नेहरू-गांधियों के प्रयासों के बाद उन्हें एक बड़ी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा. खड़गे खुद 29 सितंबर की देर रात तक अपनी उम्मीदवारी से अनजान थे. इसका खुलासा राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने किया, जिन्होंने 29 सितंबर को खुद के लिए नामांकन पत्र लेने के बाद उनसे मुलाकात की थी. हालांकि, मीडिया से पता चलने के बाद कि खड़गे भी अध्यक्ष पद की रेस में हैं, उन्होंने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली. खड़गे को कथित तौर पर 29 सितंबर की देर रात पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि नेहरू-गांधी परिवार चाहते हैं कि वह अगले दिन अपना नामांकन दाखिल करें. अगला दिन यानी कि 30 सितंबर नामांकन की आखिरी तारीख थी.

थरूर के नामांकन दाखिल करने के समय कोई प्रमुख नेता मौजूद नहीं था, जबकि खड़गे के साथ पार्टी मुख्यालय में नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए वरिष्ठ कांग्रेसियों का एक दल मौजूद था. खड़गे ने 14 सेट पेपर दाखिल किए, जबकि थरूर ने पांच और त्रिपाठी ने सिर्फ एक पेपर दाखिल किया. प्रत्येक सेट में 10 प्रस्तावक शामिल हैं. इसलिए, त्रिपाठी के पास केवल 10 प्रस्तावक थे.  चुनाव लड़ने के लिए बहुत पहले से निर्णय लेने के बावजूद थरूर के पास 50 प्रस्तावक थे. दोनों के खिलाफ खड़गे के पास कुछ ही घंटों में 140 प्रस्तावक थे. ऐसे में खड़गे की जीत लगभग तय मानी जा रही है.