टीएनपी डेस्क(TNP DESK): लोक सभा चुनाव से ठीक पहले सी-वोटर और इंडिया टुडे के सर्वे में यह दावा किया गया है कि प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता अपने ढलान पर है. देश में उन्हे नापसंद करने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. यदि इन आंकड़ों पर विश्वास करें तो यह 2024 के लोकसभा से पहले भाजपा को एक बड़ा धक्का माना जा सकता है, लेकिन भाजपा के लिए राहत भरी बात यह हो सकती है कि भारत जोड़ो यात्रा के अपार सफलता के बाद भी राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के रुप में देखने वालों की संख्या महज 14 फीसदी है. यदि हम पिछले छह वर्षों का आंकलन करें तो इन छह वर्षो में प्रधानमंत्री मोदी से लोगों की नाराजगी बढ़ी है, सर्वे के अनुसार इन छह वर्षों में उनसे नाराज लोगों की संख्या में 50 फीसदी इजाफा हुआ है.

6 सालों में 6 फीसदी बढ़ गया चुका नाराजगी का आंकड़ा

आज भी सर्वे के अनुसार, मोदी सरकार के कामकाज से असंतुष्ट लोगों का आंकड़ा 18 फीसदी है. वहीं, 2016 में हुए इसी सर्वे में यह आंकड़ा महज 12 फीसदी था. इस आधार पर कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के कामकाज से असंतुष्ट लोगों का आंकड़ा 6 सालों में 6 फीसदी बढ़ गया चुका है.

अगस्त में 32 फीसदी लोगों में थी नाराजगी

यहां बता दें कि कोराना काल में मोदी सरकार से नाराज लोगों की संख्या महज 9 फीसदी थी, बीते अगस्त में यह आंकड़ा 32 फीसदी तक पहुंच चुका था, सर्वे में मोदी सरकार के कामकाज से खुश लोगों का आंकड़ा चौंकाने वाला है. सर्वे के मुताबिक, मोदी सरकार के कामकाज से संतुष्ट लोगों का आंकड़ा 67 फीसदी है. वहीं, इस सर्वे में ये बात भी निकल कर सामने आई है कि 2016 में मोदी सरकार के कामकाज से न संतुष्ट ना ही असंतुष्ट लोगों का आंकड़ा 40 फीसदी था. जो जनवरी 2023 के इस सर्वे में घटकर महज 11 फीसदी रह गया है.

साल भर पहले की तुलना में पीएम मोदी की लोकप्रियता में 42 अंकों की गिरावट 

यहां बता दें कि महज 24 फ़ीसदी लोग ही यह मानते हैं कि 70 वर्षीय नरेंद्र मोदी भारत के नये प्रधानमंत्री बनने के लिए उपयुक्त उम्मीदवार हैं. इस सर्वे में 14,600 लोगों ने हिस्सा लिया था. यह साल भर पहले किये गये सर्वे की तुलना में करीबन 42 अंकों की गिरावट है.
 
लम्बे अर्से के बाद किसी प्रधानमंत्री की लोकप्रियता में इतनी बड़ी गिरावट 

पूर्व सेफोलॉजिस्ट योगेंद्र यादव कहते हैं कि किसी भी प्रधानमंत्री की लोकप्रियता में इतनी बड़ी गिरावट काफी लम्बे अर्से के बाद देखी गयी है. माना जाता है कि दूसरी लहर में कोरोना के कारण लाखों लोगों की मौत से पीएम  मोदी की छवि को गहरा धक्का लगा है. बहुत ही  मेहनत से गढ़ी गयी उनकी तस्वीर को नुकसान हुआ है.

70 फीसदी लोगों ने माना उनकी आमदनी में कमी आयी 

सर्वे में 70 फीसदी लोगों ने माना है कि उनकी आमदनी घट गयी है. और इतने ही लोग ये मानते हैं कि कोरोना से मरने वाले लोगों का असली आँकड़ा सरकारी आंकड़े 430,000 से बहुत ज्यादा है. लेकिन 36 फीसदी लोगों ने कहा कि पीएम मोदी ने महामारी को अच्छे तरीके से संभाला है. 44 फीसदी लोग मानते हैं कि संघीय और राज्य सरकारों ने कोविड का ठीक से सामना नहीं किया.

रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार