टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : मोदी सरकार पार्ट वन में एक बड़ा फैसला नोटबंदी का रहा है. इस नोट बंदी के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था से लेकर आम लोग प्रभावित हुए. इससे जुड़ी कई याचिकाएं अदालतों में दाखिल की गई. लेकिन आज तक उन पर सुनवाई नहीं हो सकी. अब सुप्रीम कोर्ट के 5 सदस्यीय पीठ सुनवाई करेगी. इसकी अध्यक्षता जस्टिस एस अब्दुल नजीर करेंगे. इस पीठ के अन्य सदस्य जस्टिस बीआर गवाई, जस्टिस ए एस बोपन्ना, जस्टिस वी रामासुब्रह्मण्यम और जस्टिस बी वी नागरत्ना है.
सरकार के उद्देश्य की हुए थी तारीफ
उल्लेखनीय है कि मोदी पार्ट वन की सरकार ने 8 नवंबर 2016 को अचानक भारतीय अर्थव्यवस्था में चल रही 500 और ₹1000 की करेंसी को वापस ले लिया था. इसके खिलाफ कई याचिकाएं दाखिल की गई थी. उस समय 15 नवंबर 2016 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश पीएस ठाकुर ने मोदी सरकार के उद्देश्य की तारीफ की थी. उन्होंने सुनवाई करते हुए कहा था कि आर्थिक नीति में कोर्ट दखल देना नहीं चाहता लेकिन लोगों को परेशानी हो रही है. इस पर सरकार को जवाब देना चाहिए.
नोटबंदी को लेकर दिया गया तर्क
मोदी सरकार ने नोटबंदी को लेकर यह तर्क दिया था कि 500 और ₹1000 की तत्कालीन करेंसी काला धन की समानांतर अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ी भूमिका निभा रही है. इसलिए इसे डिमॉनेटाइज किया गया था. मोदी सरकार को उम्मीद थी कि बड़ी मात्रा में काला धन सामने आएगा लेकिन सरकार की उम्मीदों के अनुरूप ऐसा नहीं हुआ.
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