टीएनपी डेस्क (TNP DESK)- जेपीएससी के मैट्रिक इंटर स्तर की परीक्षाओं में क्षेत्रीय भाषाओं के मुद्दे की आड़ में चल रही भाषायी राजनीति के खिलाफ विभिन्न संगठनों ने मोर्चा खोल लिया है. संगठनों ने शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो और जमशेदपुर के सांसद विद्युतवरण महतो के उस बयान का विरोध किया है जिसमें उनलोगों ने भोजपुरी, मगही, अंगिका और मैथिली को जिला से बाहर करने की बात कही है. इस संबंध में सांसद विद्युतवरण महतो ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर ये मांग रखी है. इसकी चौतरफा आलोचना हो रही है. जमशेदपुर के साकची में मुन्ना शर्मा के नेतृत्व में समान जनाधिकार मंच ने धरना दिया तो आदित्यपुर में एके मिश्र के नेतृत्व में एकता विकास मंच ने विरोध प्रदर्शन किया.
झारखंड के नेता ओछी मानसिकता का परिचय दे रहे
इन संगठन के प्रतिनिधियों ने कहा कि झारखंड अलग राज्य के आंदोलन में सभी भाषा भाषियों का योगदान रहा जिसे भुलाकर कटुता पैदा करने की कोशिश की जा रही है. पहले डोमिसाइल के नाम पर और अब भाषा के नाम पर झारखंड के नेता ओछी मानसिकता का परिचय दे रहे हैं. दोनों ही जगहों पर लोगों ने सांसद विद्युतवरण महतो के प्रति नाराज़गी जताई और पूछा कि क्या बिहारी का वोट अब नहीं चाहिए. लोगों ने झारखंड सरकार से पूछा कि जिन लोगों ने अलग राज्य के आंदोलन में साथ दिया उनको अपनी भाषा और स्थानीयता का अधिकार क्यों नहीं? अलग राज्य होने का आधार क्या यही था , नहीं तो फिर यहां के नेता विद्वेष की राजनीति क्यों करते हैं?
बता दें कि सांसद विद्युतवरण महतो ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर कुड़मी को एसटी का दर्जा देने और भोजपुरी, मगही को क्षेत्रीय भाषा की सूची से हटाने की मांग की है. इसके बाद से ही जमशेदपुर में विरोध हो रहा है.
रिपोर्ट: अन्नी अमृता, ब्यूरो हेड, जमशेदपुर
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