दिल्ली (DELHI ) - भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 4 लाख से अधिक कोरोना संक्रमित मरीजों ने जान गंवाई है. संक्रमण से जान गंवाने वालों के आश्रितों को भारत सरकार के द्वारा मुआवजा देने का प्रावधान है.पर इसमें बाधाएं आ रही थी कि मृतक के पास वैलिड डेथ सर्टीफिकेट होना चाहिए. लेकिन केंद्र सरकार के द्वारा बनाये गए गाइडलाइन्स से सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई थी. नए गाइडलाइन जारी करने का 11 सितम्बर 2021 तक समय दिया गया था.स्वास्थ विभाग व ICMR ने नई गाइडलाइन तैयार की है.
ये हैं नए गाइडलाइन
मृत्यु प्रमाण के नए गाइडलाइन के अनुसार पहला नियम यह कहता है कि जिस मरीज का RT -PCR ,रैपिड़ एंटीजेन, मॉलिक्यूलर टेस्ट ,किया गया हो या किसी हॉस्पिटल या घर में डॉक्टर के द्वारा कोरोना संक्रमण की पुष्टि की गयी हो. इन मरीजों के मौत का कारण मानकर कोरोना डेथ सर्टिफिकेट में जानकारी दिया जाएगा.वहीं एक्सिडेंट,हत्या,आत्महत्या,से मौत होने वालों की उसमे गिनती नहीं की जाएगी,चाहे वो मृतक कोरोना संक्रमित ही क्यों न हो.संक्रमित मरीज की मौत अस्पताल या घर में हुई है.उन्हें मेडिकल सर्टीफिकेट फॉर्म 4 और 4 (A ) दिया गया हो उनकी मौत कोरोना संक्रमित मानी जाएगी.नए नियम के मुताबिक कोरोना संक्रमण पाए जाने के दिन से 30 दिन के अंदर होने वाली मौत को कोरोना सम्बन्धित मौत माना जायेगा.मरीज की मौत हॉस्पिटल या घर में मेडिकल फैसिलिटी से बाहर हो.
नए नियमों के अनुसार डेथ सर्टिफिकेट में दिए गए मौत के कारणों से मृतक का आश्रित संतुष्ट नहीं होता है. तो ऐसे मामलों में राज्य व केंद्रशासित प्रदेश में जिला स्तर पर बनी कमिटी को सूचना देना होगा
रिपोर्ट : रंजना कुमारी (रांची ब्यूरो )
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