गुमला(GUMLA): गुमला के घाघरा प्रखंड के रुकी पंचायत मुख्यालय व जलका में आग लगने से मनरेगा के तहत 16 एकड़ से अधिक की भूमि में लगाए गए आम के पौधे जलकर बर्बाद हो गए. करीब तीन एकड़ में आम बागवानी के साथ राहड़ की मिश्रित खेती की गई थी वो भी इस आगजनी में नष्ट हो गए. एक किलोमीटर से अधिक के रेडियस में आगजनी की घटना में फसल बर्बाद हो गए हैं. वहीं, मौके पर पहुंचे पत्रकारों ने घटना की सूचना गुमला के डीसी कर्ण सत्यार्थी को दी. जिसके बाद दमकल की गाड़ी घटनास्थल पर पहुंची. हालांकि, तब तक लाभुकों द्वारा पानी व  राहड़ की झाड़ से आग पर काफी हद तक काबू पा लिया गया था.

मौके पर घाघरा बीडीओ व थाने से SI राहुल पासवान भी पहुंचे. बीडीओ ने जले हुए पौधों के साथ फोटो खिंचाकर, आधार, पासबुक व जमीन के कागजात के साथ अंचल कार्यालय में सभी दस्तावेज जमा करने की बात कही है ताकि प्रावधान के अनुरूप मुआवजा लाभुकों को मिल सके. इस दौरान आम बागवानी के लाभुकों ने बीडीओ दिनेश कुमार से मांग की है कि बर्बाद हुए आम बागवानी योजना को बंद कर नए सिरे से योजना का लाभ दिया जाए ताकि वे नए सिरे से आम बागवानी का लाभ ले सके. वहीं, आशंका व्यक्त की जा रही है कि आग महुवा चुनने वाले लोगों द्वारा ही फैलाई गई है.

बता दें कि, लाभुक किसानों को मनरेगा से आम बागवानी में ट्रेंच की खुदाई, मजदूरी, घेराबंदी सहित अन्य मदों में पांच वर्ष तक बागवानी की देख-रेख में तीन लाख पचास हजार रुपए सरकार खर्च करती है. जो पौधे जले हैं उनमें एक वर्ष, दो वर्ष व तीन वर्ष के आम के पौधे शामिल हैं. इसके साथ ही अरहर की खेती का अगर आकलन किया जाए तो 30 से 35 लाख रुपए सरकारी खर्च आता है.

जिन लाभुकों की आम बागवानी की खेती जलकर बर्बाद हुई है उनमें जम्बू उरांव, रामलाल यादव, दीपक साहू, शंकर साहु, ललिता देवी, अरुण साहू, शुखम मुंडा, दुखन मुंडा, जयपति देवी, हरिश्चन्द्र मुंडा, सुरेंद्र उरांव, बीरेंद्र उरांव, बासु उरांव, सरहुलिया उराईन आदि के एक-एक एकड़ भूमि शामिल है.

रिपोर्ट: सुशील कुमार सिंह