दुमका (DUMKA): झारखंड में लचर स्वास्थ्य व्यवस्था का मामला समय समय पर मीडिया की सुर्खिया बनती है. विपक्षी पार्टियों को मुद्दा मिल जाता है तो शासन और प्रशासन द्वारा जांच की बात कह कर पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है. एक बार फिर झारखंड की उपराजधानी दुमका में लचर स्वास्थ्य व्यवस्था का मामला सामने आया है. सिस्टम की लापरवाही से गर्भवती महिला की मौत हो गई.

निजी वाहन से शव पहुंचा गांव, खाट के सहारे पहुंचा घर

मामला गोपीकांदर थाना क्षेत्र के कुरुम्भा गांव का है. जानकारी के अनुरूप रविवार को गांव की बिनीता हेंब्रम को प्रसव वेदना शुरू हुई. पति सोम मुर्मू का आरोप है कि 10 बजे दिन में एम्बुलेंस के लिए फोन किया ताकि समय पर पत्नी को सीएचसी गोपीकांदर में भर्ती कराया जा सके. घरवाले एम्बुलेंस का इंतजार करते रहे। 11.30 तक एम्बुलेंस नहीं पहुंचने पर गांव की सहिया ने एम्बुलेंस के लिए कॉल किया. उसके बाद एम्बुलेंस पहुंची। गर्भवती महिला को सीएचसी गोपीकांदर ले जाया गया जहां डॉ ने उसे मृत घोषित कर दिया. शव घर ले जाने के लिए परिजन को निजी वाहन करना पड़ा. घर तक वाहन पहुंचने का रास्ता नहीं होने के कारण मुख्य सड़क से घर तक खाट के सहारे शव  पहुंचाया गया. परिजनों का आरोप है कि अगर समय पर एम्बुलेंस पहुंच जाता तो बिनीता और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की जान बच सकती थी। बिनीता की मौत से 4 बच्चों के सर से मां का साया उठ गया.

मामले की होगी जांच: सिविल सर्जन

इस बाबत सिविल सर्जन डॉ बच्चा प्रसाद सिंह ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है. किस परिस्थिति में समय पर एम्बुलेंस नहीं पहुंच पाया इसकी जांच की जाएगी.जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.

बिनीता की मौत का जिम्मेवार कौन?

सवाल उठता है कि बिनीता की मौत का जिम्मेवार कौन? बिनीता के चार बच्चों का परवरिश कैसे होगा? कब तक झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था खाट पर टंगी रहेगी? स्वास्थ्य मंत्री इसी संताल परगना प्रमंडल के एक विधान सभा क्षेत्र से चुनकर विधायक बने है, जो खुद डॉक्टर है। मंत्री अपने बड़बोलेपन और लंबी चौड़ी बातों के लिए जाने जाते है। क्या इस मामले पर भी स्वास्थ्य मंत्री संज्ञान लेंगे?

रिपोर्ट: पंचम झा