टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद झारखंड में पेसा कानून नहीं लागू नहीं किए जाने पर अवमानना याचिका दाखिल की गई थी. उस दाखिल याचिका को लेकर आज झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है. माना जा रहा है कि कोर्ट देरी के लिए सरकार से स्पष्टीकरण मांग सकता है. हाईकोर्ट की सुनवाई इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि टेंडर जारी होने के बाद बालू घाटों और माइनर मिनरल के आवंटन पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. इस बीच, पंचायती राज विभाग ने पेसा नियमों को मंज़ूरी देने के लिए कैबिनेट को प्रस्ताव भेजा है. हालांकि, कई कमियों के कारण, बुधवार की कैबिनेट बैठक में पेसा नियमों को मंज़ूरी मिलने की संभावना कम है.

बताते चलें कि मंगलवार को पंचायती राज विभाग ने पेसा कानून से संबंधित नियमावली तैयार कर कैबिनेट को भेज दी थी. विभाग ने मसौदे पर 17 संबंधित विभागों से प्रतिक्रिया भी मांगी थी. खबरों के अनुसार, पंचायती राज विभाग द्वारा कैबिनेट को भेजे गए पेसा नियमावली के मसौदे पर अभी भी सात विभागों की राय का अभाव है. इनमें वित्त विभाग, उत्पाद शुल्क, खान एवं भूतत्व, गृह एवं आपदा प्रबंधन, महिला एवं बाल विकास, वन एवं पर्यावरण समेत मुख्यमंत्री के अधीन आने वाले अन्य विभाग शामिल हैं. ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हाल ही में लंबित पेसा नियमावली पर विभागीय सचिवों के साथ बैठक की थी. उन्होंने पंचायती राज विभाग को पेसा नियमावली के मसौदे को छोटा करने का निर्देश भी दिया था. इसके बाद पंचायती राज विभाग ने मसौदे को 31 पृष्ठों से घटाकर 23 पृष्ठ कर दिया है. हालांकि, अन्य सात विभागों ने अभी तक अपनी राय नहीं दी है.

आज के कैबिनेट बैठक में एक और बड़ा फैसला संभव है. सरकार एशिया के सबसे बड़े साल वन क्षेत्र, सारंडा खनन क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य घोषित करने पर विचार कर रही है. शुरुआत में इस क्षेत्र को 575 वर्ग किलोमीटर अभयारण्य घोषित करने का प्रस्ताव था, लेकिन अब क्षेत्रफल कम करने पर सहमति बन सकती है. दरअसल, उद्योग एवं खान विभाग का सुझाव था कि पूरे क्षेत्र को अभयारण्य घोषित करने से खनन पर असर पड़ेगा. इस कारण, सरकार आंशिक क्षेत्र को छोड़कर शेष क्षेत्र को संरक्षित क्षेत्र घोषित करने का प्रस्ताव रख सकती है.