धनबाद(DHANBAD):   होली बीत गई, लेकिन साइड इफेक्ट की गणना अब शुरू हो गई है. राजनीतिक  दल  इससे अछूते नहीं है.  हर जगह की तरह धनबाद में भी  राजनीतिक दल के नेता और कार्यकर्ता अपने समर्थकों की "ताकत" दिखाने के लिए होली मिलन समारोह का जगह-जगह आयोजन किए थे.  कहीं इन आयोजनों में अधिक भीड़ हुई, तो कहीं कम.  सांसद ढुल्लू  महतो के धनबाद कार्यालय में भी होली मिलन  समारोह हुआ.  यह अलग बात है कि सड़क दुर्घटना में सांसद  के एक समर्थक की मौत के बाद आगे के होली मिलन के आयोजनों को टाल दिया गया.  इधर, विधायक राज सिन्हा  ने भी धनबाद के टाउन हॉल में होली मिलन समारोह का आयोजन किया. 

कांग्रेस के कार्यक्रम में दिखी गुटबाजी 
 
तो कांग्रेस की ओर से भी होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया.   झलकुटन  हुआ ,लेकिन कांग्रेस के झलकुटन  में गुटबाजी साफ-साफ दिखी.  यह  गुटबाजी तब दिखी जब उत्तरी छोटा नागपुर प्रमंडल के प्रभारी और मंत्री डॉ इरफान अंसारी भी कार्यक्रम में मौजूद थे.  उन्होंने भी झलकुटन  किया और लोगों को होली की शुभकामनाएं दी.  यह कार्यक्रम जिला कांग्रेस  की ओर से आयोजित किया गया था.  कांग्रेस के ही नाराज कार्यकर्ता  बताते हैं कि इस कार्यक्रम में कार्यकर्ता और नेताओं की संख्या जितनी होनी चाहिए थी, नहीं जुटी. मतलब कार्यक्रम में गुटबाजी दिखी.बैनर -पोस्टर में भी जिनके नाम थे ,कार्यक्रम से दूर रहे. हर कार्यक्रम में मौजूद रहने वाले भी नहीं दिखे थे.  इसी गुटबाजी को समाप्त करने और कांग्रेस में "मठाधीशों" की राजनीति को खत्म करने के लिए कांग्रेस के नए प्रभारी के राजू ने नए ढंग से काम शुरू किया है. 

झारखंड में कांग्रेस को नए तरीके से संगठित करने की हो रही कोशिश 

झारखंड में कांग्रेस को नए तरीके से संगठित करने की कोशिश की जा रही है.  इसमें बाधक बने  "मठाधीश" नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी लगभग कर ली गई है.  कुछ जिला अध्यक्षों की कुर्सी भी खतरे में बताई जा रही है.  के राजू दिखावा के बजाय जमीन पर काम करने वालों की सूची तैयार कर ली है.  उनके पास "मठाधीश" नेताओं ,सक्रिय नेताओं, जनता से जुड़े नेताओं की सूची लगभग तैयार हो गई है.  अब एक्शन की तैयारी है.  यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि संथाल परगना में के राजू ने कहा था कि कांग्रेस में रहकर लोग भाजपा के लिए काम कर रहे है.  तो इसका कोई न कोई ठोस आधार जरूर रहा होगा.  क्योंकि झारखंड के सभी प्रमंडलों के दौर के बाद अंतिम दौर में यह बात उन्होंने कही थी.  अब देखना है कि गाज गिराने  की कार्रवाई किस स्तर से शुरू होती है और कहां जाकर खत्म होती है?

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो