धनबाद (DHANBAD) : पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास अचानक आक्रामक हो गए है. उनकी गतिविधियां भी तेज हो गई है. पूरे प्रदेश में कार्यकर्ताओं के साथ भी जुड़ाव उनका बढ़ गया है. तो क्या प्रदेश अध्यक्ष की रेस में शामिल नेताओं को पछाड़कर वह प्रदेश अध्यक्ष बनने की कतार में आगे-आगे खड़े हैं? वैसे गिरिडीह में विवाद के बाद उन्होंने जिस तरह से प्रशासनिक अधिकारियों से सवाल किया, यहां तक कह दिया कि क्या आपसी भाईचारा बनाने का जिम्मा हिंदुओं ने ले रखी है. उन्होंने प्रशासन को स्पष्ट चेतावनी दी कि निष्पक्ष कार्रवाई होनी चाहिए. जो दोषी हैं, उन पर एक्शन होना चाहिए. एक सप्ताह के बाद फिर वह गिरिडीह आएंगे और देखेंगे कि पुलिस का एक्शन कितना निष्पक्ष है.
विवाद की जगह राजधनवार विधानसभा में पड़ता है
जरूरत पड़ी तो वह गिरिडीह में कैंप भी करेंगे. गिरिडीह के जिस जगह घोड़थम्भा में विवाद हुआ, यह इलाका राजधनवार विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है. राजधनवार से भाजपा के टिकट पर बाबूलाल मरांडी चुनाव जीते है. बाबूलाल मरांडी भी इस विवाद को लेकर आक्रामक जरूर हैं, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर एक बड़ा संदेश देने की कोशिश की है. रघुवर दास रविवार को घोड़थम्भा पहुंचे थे. रघुवर दास पीड़ित परिवारों से मिले, फिर वह पुराने अंदाज में आ गए और मौजूद अधिकारी को खूब खरी खोटी सुनाई.
रघुवर दास के सवाल-आखिर क्यों जुलूस को रोका गया?
उन्होंने सवाल किया कि आखिर क्यों जुलूस को रोका गया? हम जो सवाल कर रहे हैं-उसका जवाब चाहिए. सद्भाव का ठेका क्या सिर्फ हिंदू समाज ने लिया है. क्या कर रहे थे थानेदार और स्पेशल ब्रांच के अधिकारी. हमने तो 5 साल सरकार चलाई, किसी की हिम्मत नहीं होती थी कि दंगा कर या करा दे. रघुवर दास ने यह भी कहा कि दोषियों पर कार्रवाई होनी चहिये. तुष्टीकरण के लिए नहीं कि 10 इस पक्ष के लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया तो 10 उस पक्ष के लोगों को भी गिरफ्तार किया जाना चाहिए. यह सब नहीं चलेगा. बता दें कि शुक्रवार की देर शाम होली का जुलूस लेकर लोग जा रहे थे. इसी दौरान एक गली में पहुंचने के बाद कुछ लोगों ने जुलूस को रोकने का प्रयास किया. इसके बाद पत्थरबाजी शुरू हो गई और विवाद बढ़ गया. पथराव में दोनों पक्षों के लोग घायल भी हुए है.
दोनों पक्षों के 11-11 लोगों की हुई है गिरफ्तारी
पुलिस का दावा है कि सीसीटीवी से उपद्रवियों की पहचान कर दोनों पक्षों के 11-11 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है. वैसे भी रघुवर दास ओड़िशा के राज्यपाल से इस्तीफा देकर भाजपा की सक्रिय राजनीति में आ गए है. दोबारा उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है. उसके बाद से यह चर्चा थी कि रघुवर दास को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है. यह अलग बात है कि अभी भाजपा का सांगठनिक चुनाव चल रहा है. अगले महीने तक नया प्रदेश अध्यक्ष बन जाने की संभावना है. बाबूलाल मरांडी के नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के बाद चर्चा है कि गैर आदिवासी को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा. गैर आदिवासी में भी ओबीसी कोटे को तरजीह मिलेगी. रघुवर दास ओबीसी कोटा से आते है. ऐसे में देखना होगा कि प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी किसके भाग्य में जाती है? लेकिन रघुवर दास की सक्रियता और उनकी आक्रामकता बहुत कुछ कह रही है. सब अपने-अपने नजरिए से इसका मतलब निकाल रहे है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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