रांची(RANCHI): झारखंड में जमीन के लिए खून की नदियां बहती है. जमीन का टुकड़ा यही रह जाता है पर कई लोगों की जान चली जाती है. राजधानी रांची में ऐसे कई मामले हाल के दिनों में सामने आए जिससे पूरा शहर थर्रा उठा. गोलियों की  तड़तड़ाहट सुनाई दे रही थी और फिर जब करीब जाकर देखा तो लाश गिरी हुई थी. चाहे हाल में हुई हत्या अनिल टाइगर की बात कर लें या फिर सीपीएम नेता सुभाष मुंडा की. बवाल ऐसा हुआ कि रांची थम सी गयी. लेकिन जब खुलासा हुआ तो लोगों के पैरों तले जमीन खिसक गई. दोनों हत्याकांड में हत्या करने वाला करीबी ही निकला, और वजह जमीन का टुकड़ा निकल कर सामने आया.

यह कहानी पूरे झारखंड की है, कहीं भाई ही भाई को मौत के घाट उतार दे रहा है तो कहीं पड़ोसी मार देता है. विवाद इतना गहरा है कि सवालों के घेरे में पूरी सरकार और पुलिस प्रशासन है. 

अनिल टाइगर हत्याकांड

सबसे पहले बात करते हैं अनिल टाइगर हत्याकांड की. अनिल टाइगर की हत्या 27 मार्च को कांके चौक पर दिनदहाड़े कर दी गई. न जाने कितनी गोलियां उनके शरीर में उतार दी गई थी. इस हत्याकांड के बाद जमकर बवाल हुआ. 7 घंटे से अधिक कांके सड़क जाम कर लोग प्रदर्शन करते रहे. माहौल बढ़ता देख पुलिस ने SIT का गठन कर दिया और जब खुलासा हुआ तो सभी लोग चौंक गए. हत्या के पीछे कोई और नहीं बल्कि अपने ही निकले. 

इस पूरे हत्याकांड को अंजाम दिलाने में साजिशकर्ता के रूप में पालकोट के राजा साहब निकल गए. जिसके बाद पूरी तरह माहौल बदल गया. पुलिस ने इस पूरे मामले में शूटर रेकी करने वाले और अन्य सहयोगियों को गिरफ्तार कर अपराधियों को सलाखों के पीछे भेज दिया, लेकिन मुख्य साजिशकर्ता की तलाश अभी भी जारी है.

बताया गया कि कांके थाना क्षेत्र स्थित जामगुरु मौजा में एक 10 एकड़ जमीन है. यह जमीन विवादित थी लेकिन देवव्रत नाथ शाहदेव का दावा था कि 10 एकड़ जमीन उनकी है. उस जमीन पर जब भी कुछ करना चाह रहे थे तब अनिल टाइगर रोक रहा था. मामला सुलझाने की कोशिश कई बार की गई लेकिन हर बार बात बिगड़ जा रही थी.

अनिल टाइगर प्रति डिसमिल ₹50000 की डिमांड कर रहा था. यानी कुल जमीन को देखें तो 4.5 करोड रुपए मांगा गया था, लेकिन राजा साहब पैसे देने को राजी नहीं थे. उसके बाद ही उन्होंने हत्या की साजिश रची और अनिल टाइगर को रास्ते से हटाने का मन बना लिया. इसमें उनके साथ कई लोग जुड़े और सूरज सिंह गैंग को सुपारी दे दी. इस पूरे हत्याकांड की प्लानिंग कोलकाता में बैठकर की गई और कोलकाता के एक होटल में ही सूरज ने दो शूटर अमन सिंह और रोहित शर्मा को बुलाया. अनिल की तस्वीर के साथ तमाम जानकारी दी. इसके बाद 18 मार्च को शूटर कोलकाता से रांची पहुंचे और एक होटल में रुक गए. अपराधी हाईटेक तरीके से जंगी ऐप टेलीग्राम और व्हाट्सएप कॉल के जरिए एक दूसरे से बात कर रहे थे शूटरों ₹50000 एडवांस के रूप में भी दी गई थी,

नेता सुभाष मुंडा 

दूसरी जमीन विवाद की कहानी में नाम आता है नेता सुभाष मुंडा का. नगड़ी थाना क्षेत्र के दलादली चौक के पास सीपीआई नेता सुभाष मुंडा की हत्या कर दी गई. देर शाम ऑफिस में घुसकर अपराधियों ने अंधाधुंध गोली चलाई जिससे उनकी मौत मौके पर हो गई. इस हत्याकांड में भी जमीन सामने आई. नगड़ी इलाके में 91 डिसमिल जमीन के लिए हत्या की घटना को अंजाम देने का खुलासा हुआ. इस हत्याकांड में छोटू खाल को विनोद अभिजीत आरोपी निकले.

16 अगस्त की देर रात रांची थम गयी थी. सड़क पूरी तरह से जाम थी. हर तरफ टायर जला कर प्रदर्शन कर रहे थे और सुभाष मुंडा के हथियारों के पीछे पुलिस के मिली भगत की बात कर रहे थे. पुलिस ने हत्याकांड को चुनौती के रूप में लिया और जांच शुरू कर दी कि आखिर शूटर कन्हैया सिंह और बबलू पासवान को किसने सेट किया था. इस हत्याकांड में सुभाष मुंडा के कार्यालय के पास शूटर पहले दिखाए गए थे. पूछताछ में आपराधिक कन्हैया ने पुलिस को बताया था कि कीमती जमीन को लेकर सुभाष और छोटू के बीच विवाद चल रहा था. इसी विवाद की वजह से जुलाई के समय एक मीटिंग भी हुई थी लेकिन वार्ता सार्थक नहीं हुई और 26 जुलाई को ही सुपारी देकर मारने की योजना बना ली.

ऐसे और भी कई घटना झारखंड में हर दिन घटती है, जहां तस्वीर निकलकर सामने आती है कि जिस जमीन की खातिर लड़ रहे थे वह जमीन खून से लाल हो गई. झारखंड में जमीन का विवाद काफी गहरा है और इसके अंदर झांककर देखें तो पूरा सिस्टम ही चौपट है, जिसका नतीजा खून खराब होता है. किसी की जमीन किसी के नाम पर रजिस्ट्री हो जाती है तो कोई दूसरा म्यूटेशन करा लेता है. ऐसे में सवालों के घेरे में पूरी सरकार है. इतनी हत्या के बावजूद भी सरकार जागी नहीं है और जमीन की खातिर हर दिन खून की नदियां बहती रहती है.