धनबाद(DHANBAD): किस्मत जब करवट लेती है तो असंभव भी चुटकी बजाते संभव हो जाता है. यह कहानी कोई फिल्मी नहीं है, 100 फ़ीसदी सच्ची कहानी है. 22 साल पहले घर से लापता एक बच्चा युवा अवस्था में अपने परिवार से मिले, तो परिवार को कितनी खुशी होगी ,इसका अनुभव तो परिवार वाले ही बता सकते है. लेकिन इस कहानी में ट्विस्ट लाने का श्रेय जाता है अस्पताल के एक कर्मचारी को. शनिवार को धनबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सर्जरी वार्ड में यह कहानी चरितार्थ हुई. पिता तो पुत्र से मिलकर खुश थे लेकिन दुःख यह था कि मां बीटा -बीटा रटते -रटते दुनिया से चली गई थी.
दरअसल, बिहार के भागलपुर जिले के नवगछिया निवासी हरिशंकर प्रसाद सिंह का बेटा सोनू अप्रैल 2004 में बिहार के ही रक्सौल से लापता हो गया था. उस समय उसकी उम्र मात्र 8 या 9 साल रही होगी. वह अपने बुआ के घर रक्सौल में रहता था. बुआ किसी रिश्तेदार के घर गई थी. लौटी तो सोनू को गायब पाया. परिवार वालों ने सोनू की खोजबीन की, जगह-जगह खोजा गया लेकिन उसका पता नहीं चला. लेकिन शुक्रवार की शाम इस परिवार और सोनू की किस्मत ने अचानक करवट ली. हरिशंकर प्रसाद सिंह को एक तस्वीर दिखाई गई, उन्हें बताया गया कि यह उनका खोया बेटा सोनू है और धनबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती है.
पूरा परिवार उम्मीद के साथ अगले दिन धनबाद पहुंच गया. सोनू को पहचान लिया गया. बेटे को देखते ही पिता के भावनाओं का बांध टूट गया. हरिशंकर सिंह रो पड़े और सोनू को सीने से लगा लिया. इस परिवार को मिलाने की कड़ी के रूप में अस्पताल कर्मी दीपक सिंह रहे. दीपक सिंह ने बताया कि गुरुवार की सुबह एक मरीज उनके सामने से घसीटता हुआ जा रहा था. रोक कर उससे पूछताछ की, उसने अपना नाम सोनू बताया. काफी याद कर बताया कि वह भागलपुर के नवगछिया का है. गांव का नाम नहीं बता पा रहा था.
दीपक ने उसकी तस्वीर के साथ सारी जानकारी भागलपुर में अपने एक रिश्तेदार को भेजा. सोशल मीडिया की मदद से दीपक के रिश्तेदार ने नवगछिया के कुछ परिवार तक यह जानकारी पहुंचा दी. रात में दीपक के पास सोनू के घर वालों का कॉल आया और पूरी जानकारी ली. फिर दूसरे दिन सभी अस्पताल पहुंच गए. सोनू की जुदाई का दर्द इतना गहरा था कि उसे याद करते-करते 2 साल पहले उसकी मां चल बसी. चार बच्चों में सोनू दूसरे नंबर पर था. पिता हरिशंकर प्रसाद सिंह टूट गए थे. एक बच्चे के गायब होने का दर्द उनके सीने में हमेशा उठता रहा. अब वह लापता बच्चा मिल गया था.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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