धनबाद(DHANBAD): देश की कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया और उसकी अनुषंगी  इकाइयों में संचालित मजदूर संगठन बैकफुट पर है.  कर्मियों के निशाने पर  है. सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रहे है.  मेडिकल अनफिट के नाम पर नौकरी के मामले पर उनकी बोलती बंद है.  दरअसल, मैनेजमेंट अब इस मुद्दे पर उनकी बातों को अनसुनी कर दिया है.   मेडिकल अनफिट के आधार पर कोयलाकर्मी अपने आश्रित को अंतिम समय में नौकरी दे देते थे.  कोयला कंपनियों में नौकरी का यह सबसे बड़ा आकर्षण भी माना जाता था.  क्योंकि कोयलाकर्मी प्रकृति के खिलाफ काम करते है.  इसलिए ऐसी योजना शुरू की गई थी.  लेकिन अब ऐसा संभव नहीं दिख रहा है.  मेडिकल अनफिट के आधार पर आश्रित को नौकरी का दरवाजा अब लगभग बंद हो गया है. 

एपेक्स जेसीसी की बैठक में नहीं हुआ कोई विचार 

 25 फरवरी को एपेक्स जेसीसी की बैठक में कोल इंडिया प्रबंधन ने यूनियन की मांग पर विचार करना भी उचित नहीं समझा.  इसके बाद सोशल मीडिया पर मजदूर संगठनों को ट्रोल किया जा रहा है.  कहा जा रहा है कि यूनियनो  ने अब मजदूरों के मामले में विरोध करने की स्थिति में नहीं है.  तकनीकी रूप से राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौता में मेडिकल अनफिट के आधार पर नौकरी वैध है.  लेकिन पिछले कई सालों से एक भी कर्मी  को मेडिकल अनफिट नहीं घोषित किया गया है.  इस आधार पर किसी को नौकरी नहीं मिली है. सूत्र  बताते हैं कि मैनेजमेंट ने सांकेतिक रूप से साफ कर दिया है कि अब मेडिकल अनफिट के आधार पर आश्रित को नियोजन संभव नहीं है.  
 
मेडिकल अनफिट के नाम पर आश्रित को नौकरी देने का नियम है 

बता दें कि देश की कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया में मेडिकल अनफिट के नाम पर आश्रित को नौकरी देने की व्यवस्था पर अघोषित रोक लगा रखी गई  है. 2018 के बाद किसी भी कर्मी के आश्रित को  इस व्यवस्था से नौकरी नहीं मिली है. आंकड़ों के अनुसार  2018 के बाद किसी के भी आश्रित को मेडिकल अनफिट के आधार पर नियोजन नहीं मिला है. नियम कहता है  कि बीमार कोयलाकर्मी को फिट होने तक 50% सैलरी का भुगतान होता रहेगा. या फिर मेडिकल अनफिट होने पर उसके आश्रित को नौकरी दी जाएगी.यह मामला अप्रत्यक्ष रूप से संसद में भी उठा है. लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कोयला मंत्रालय ने कहा है कि 2018 से किसी भी कोयलाकर्मी को मेडिकल अनफिट नहीं किया गया है. मतलब है कि 6 साल में कोल इंडिया और उसकी अनुषंगी इकाईयों  में एक भी कर्मी मेडिकल अनफिट नहीं हुए है.

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो