धनबाद(DHANBAD) : धनबाद में दो पानी टैंकरों को क्या आसमान निकल गया है या जमीन खा गई है.  दोनों टैंकरों की खोज में अधिकारी पसीना बहा रहे है. दरअसल, झारखंड खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार के पानी के दो टैंकर गायब है. कहा तो यह भी जा रहा है कि दोनों टैंकर झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह के विधायक मद से खरीदे गए थे. इंजन की भी खरीद हुई थी. गर्मी में जब झरिया में पानी की आपूर्ति के लिए टैंकर की खोज  शुरू हुई तो वह गायब मिले. लोग बताते हैं कि जिला परिषद को टैंकर दिए गए थे. इसके बाद टैंकर हैंडोवर कर दिए गए थे. इस बार पूर्व विधायक संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह झरिया से विधायक बनी है.  उन्होंने टैंकर की खोजबीन शुरू कराई, तो अधिकारियों से उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला. 

झरिया विधायक मांग रही पूरी जानकारी 
 
इसके बाद विधायक ने झारखंड खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार से आरटीआई के तहत जवाब मांगा है. दोनों लापता टैंकरों को लेकर झरिया विधायक नाराज हैं और इसकी खोज में लगी हुई है. इधर, यह भी पता चला है कि टैंकर की खोज तेज कर दी गई है. गर्मी की शुरुआत हो गई है, पानी संकट कोयला क्षेत्र में शुरू हो गया है. पानी संकट के लिए झरिया तो पहले से ही कुख्यात रहा है. गर्मी की बात कौन करें, यहां तो ठंड के मौसम में भी पानी संकट बना रहता है. झरिया कोलियरी  क्षेत्र में पानी संकट का यह हाल है कि लोग सुबह- सवेरे पहले पानी का इंतजाम करते, फिर खाना बनाने को सोचते.  नहाने की बात तो दूर की कौड़ी है.  बता दे कि झारखंड खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार का जामाडोबा  में जल संयंत्र है.  

आठ लाख लोगों को मिलता है जामाडोबा से पानी 

झरिया,जामाडोबा, कुसुंडा, पुटकी में यहां से जलापूर्ति होती है. 8 लाख की आबादी यहां से जलापूर्ति पर निर्भर है. जामाडोबा ट्रीटमेंट प्लांट के मोटर 5 दशक से भी अधिक पुराने है. मोटर काफी पुराने होने के कारण हर सप्ताह खराब होते रहते है. इनके मेंटेनेंस पर भारी खर्च होता है. मोटर और पाइपलाइन पुरानी होने की वजह से अगर पानी का प्रेशर अधिक होता है, तो जलापूर्ति पाइप भी फट जाती है. इस वजह से जलापूर्ति प्रभावित हो जाती है. कभी बिजली संकट तो कभी मोटर खराब होने के कारण झरिया के लोगों को पानी नहीं मिल पाता है.  झरिया में पानी संकट दूर करना विभाग के लिए भी हिमालय पर चढ़ने के समान दिखता है.  यह  अलग बात है कि झरिया में पानी की समस्या कोई आज की नहीं है. कई सरकार आई और चली गई, कई विधायक, पूर्व विधायक हो गए, बड़ी-बड़ी योजनाएं बनी लेकिन लोगों के कंठ अभी भी सूखे  ही रहते है. 

रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो