धनबाद (DHANBAD) : झारखंड कांग्रेस में "मठाधीशों" को अब बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा. कोई पूछ सकता है कि विधानसभा चुनाव में तो अभी बहुत वक्त है, तो कांग्रेस झारखंड में इतनी आक्रमक क्यों हो गई है? दरअसल, झारखंड में कांग्रेस की राजनीति करते-करते "मठाधीश" हुए लोग "नई पौध" को आगे बढ़ने नहीं देते.  और शायद इसलिए उन्हें बाहर का रास्ता दिखने की तैयारी की गई है. इसी वजह से कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने "कैबिनेट" के के राजू को झारखंड का प्रभारी बनाया है. के राजू प्रशासनिक अधिकारी रह चुके है. वह सोनिया गांधी के सलाहकार भी थे. स्वयं सहायता समूह से लेकर मनरेगा के अलावे फूड सिक्योरिटी एक्ट में भी उनके सुझाव महत्वपूर्ण रहे थे.  

संगठन की मजबूती में बाधक बने लोगो का पत्ता होगा साफ़ 

शायद इसी वजह से वह झारखंड में कांग्रेस को नए तरीके से फिर से संगठित करने की कोशिश कर रहे है. इसमें सबसे बड़े बाधक बने हैं "मठाधीश राजनेता" लेकिन अब उनके दिन लदने को है. ऐसा सूत्र भी बताते हैं और एक्शन भी बताता है. बताया जाता है कि अभी हाल ही में उन्होंने झारखंड के सभी प्रमंडलों का दौरा किया था. मंडल से लेकर ब्लॉक स्तर  तक के कार्यकर्ताओं से फीडबैक लिया था. उनकी विशेषता है कि सभी का डाटा वह खुद फीड करते हैं और उसकी फाइल लगभग तैयार कर चुके है. 

26 से लेकर 30 मार्च तक बैठकों का दौर चलेगा

इधर, जानकारी मिली है कि झारखंड में कांग्रेस को फिर से एक बार मजबूत और संगठित करने के लिए 26 से लेकर 30 मार्च तक बैठकों का दौर चलेगा. झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सभी प्रमुख पदाधिकारी को विशेष कार्य सौपें जा सकते है. 100 दिन का टारगेट दिया जाएगा. इससे संबंधित पत्र झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश को मिल गया है. पत्र में कहा गया है कि बैठकों का उद्देश्य पार्टी की लंबी अवधि की रणनीति तैयार करना होगा. इन बैठकों में वरिष्ठ नेता, विभिन्न विभागों के पदाधिकारी, कार्यकर्ता और नागरिक संगठनों से विचार-विमर्श किया जाएगा. 

 के राजू 26 मार्च को फिर पहुंच रहे है रांची 
 
के राजू 26 मार्च को रांची पहुंचेंगे और उसी दिन से बैठकों  का सिलसिला शुरू हो जाएगा. बता दें कि इसके पहले उन्होंने सभी विधायकों को अलग-अलग जिलों का प्रभार दिया है. मंत्रियों को प्रमंडलों का प्रभार दिया गया है. उन्हें जवाबदेह  बनाया गया है. सूत्र तो यह भी बताते हैं कि झारखंड में कांग्रेस के "मठाधीश नेताओं "को चिन्हित कर लिया गया है. धीरे-धीरे ही सही, लेकिन अब उन्हें बाहर किया जाएगा. कांग्रेस के गुटबाज नेताओं को पहले दौर में बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. उसके बाद धीरे-धीरे नए सिरे से कांग्रेस का पुनर्गठन होगा. नए प्रदेश प्रभारी के एक्शन से कांग्रेस के नेताओं में बेचैनी है,परेशानी है. उन्हें अपने नेतागिरी पर खतरा दिख रहा है. देखना है आगे-आगे होता है क्या?? बता दें कि अभी हाल ही में अपने संथाल दौरे में यह कहकर के राजू ने सनसनी फैला दी थी कि कुछ लोग कांग्रेस में रहकर भाजपा के लिए कर रहे काम. 

रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो