टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : झारखंड शराब घोटाले की जांच तो होनी ही थी , क्योंकि इसकी चिंगारी तो 2022 में ही लग गई थी, अब इसकी आग लगी है औऱ लगता है जब यह विकराल होगी तो इसकी लपटों की जद में आगे कई बड़े किरदार आकर झुलस सकते हैं.
फंस गये या मोहरा बन गये विनय चौबे ?
सीनियर आईएस विनय चौबे की एंटी करप्शन ब्यूरो की गिरफ्तारी के बाद अब झारखंड में इस घोटाले के कड़ियों में शामिल लोगों की तलाश और इसके परत दर परत राज उघेड़ने का सिलसिला शुरु हो गया है. एसीबी ने विनय चौबे के साथ ही गजेन्द्र सिंह समेते पांच लोगों को गिरफ्तार किया है. इन पर तोहमते लगी है कि शराब घोटाले में उन्होंने पद का दुरुपयोग कर प्लेसमेंट एजेंसियों का चयन गलत तरीके से किया. सरकार के साथ जालसाजी, घोखाधड़ी कर सामूहिक अपराध किया. दरअसल, झारखंड सरकार को को करीब 38 करोड़ के नुकसान के साक्ष्य के आधार पर कैबिनेट सचिवालय को अनुमोदन मिला था. इसी बुनियाद पर ही विनय कुमार चौबे और गजेन्द्र सिंह के खिलाफ कांड दर्ज किया गया था.
2022 में ही शराब घोटाले की आई थी बू
हालांकि, शक की बुनियाद तो उस वक्त ही हिलोरे मारने लगी थी या फिर कहे कि गिरफ्तारी की पटकथा तो 2022 में ही लिखी जा चुकी थी, जब सीनियर आईएस विनय चौबे उत्पाद विभाग के सचिव हुआ करते थे. दरअसल, उनकी पहल पर ही मार्च 2022 में झारखंड में छत्तीसगढ़ मॉडल पर आधारित उत्पाद नीति लागू हुई थी. बताया जाता है कि पूर्व की उत्पाद नीति को राजस्व की कसौटी पर फ्लॉप बताकर ही सारा खेल तैयार हुआ था. इसे लेकर रायपुर में बैठक भी हुई थी . नई नीति बनते ही छत्तीसगढ़ का सिंडिकेट भी सक्रिय हो गया था. इस दौरान नकली होलोग्राम और अवैध शराब की स्पलाई की वजह से झारखंड के राजस्व को भारी नुकसान हुआ था.
दरअसल, झारखंड शराब घोटाले की महक तब ही आने लगी थी. जब छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाला मामले में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर ईडी ने ईसीआईआर दर्ज की थी . इसके बाद विनय कुमार चौबे और गजेंद्र सिंह से ईडी ने रायपुर में पूछताछ की थी. इसके बाद फिर इन दोनों अफसरों के घर पर ईडी ने छापेमारी भी किया था.
एक जमाना था जब सीएम के सचिव थे विनय चौबे
जैसा की अक्सर देखने को मिला है कि गिरफ्तारी के बाद बड़े आदमी की तबतीय खराब हो जाती है. सीनियर आईएस विनय चौबे भी बीमार पड़ गये और रिम्स में भर्ती होना पड़ा. लेकिन यही विनय चौबे का एक दौर और वक्त था. जब उनका ओहदा, अहमियत और अंदाज देखने लायक बनता था. प्रशासनिक गलियारों में इनकी हनक की तूती बोला करती थी. वह सीएम हेमंत सोरेन काफी करीब माने जाते थे औऱ सचिव हुआ करते थे. उनके पास सिर्फ उत्पाद विभाग ही नहीं, बल्कि दूसरे विभागों की भी जिम्मेदारी हुआ करती थी. लेकिन इनके कद में कटौती तब होने लगी, जब यकायक छत्तीसगढ़ शराब घोटाले मामले में उनसे पूछताछ के लिए रायपुर बुलाया गया. फिर क्या था रायपुर उनका जाना और उनका दिन करवट लेना शुरु कर दिया . थोड़े समय के भीतर ही उन्हे सीएमओ से दूर कर दिया गया. मौजूदा समय में विनय चौबे पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव हैं.
अभी तो घोटाले की पूरी पिक्चर बाकी है
हालांकि, इस शराब घोटाले को लेकर गर्दन अभी विनय चौबे पर ही फंसी हुई है. लेकिन एक डर ,बैचेनी और अकुलाहट तो प्रशासनिक से लेकर सियासी गलियारों फैली हुई है. कब किसका नाम और गिरफ्तारी हो जाए. अभी एससीबी जांच कर रही है. लेकिन विपक्षी भाजपा को इस पर भरोसा नहीं है. नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी सीबीआई जांच की मांग कर रहें है.उनकी नजर में तो अभी छोटी मछली को ही पकड़ा गया, बड़ी मछलियां तो अभी भी जांच की जाल से बाहर आजाद घूम रही हैं. उन्होने तो सीधे तौर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर ही इस घोटाले में शामिल होने की तोहमत लगा दी. इधर राज्य की सत्ता में काबिज झामुमो औऱ कांग्रेस सीबीआई जांच की मांग को हस्यास्पद औऱ बकवास बता रही है. उनका कहना है कि एसीबी जांच में तेजी लाई है. जब तक यह पूरा नहीं हो जाती. तब तक ऐसी अनर्गल मांग करना बेतुका है.
क्या सीबीआई जांच से ही होगा घोटाले का पर्दाफाश ?
सीबीआई जांच की मांग तो उठ रही है. लेकिन एसीबी की जांच के दरमियान आखिर क्या-क्या निकलकर सामने आता है औऱ कौन-कौन से नाम इस घोटाले में शामिल होते हैं. इस पर नजर सभी की लगी हुई है. ऐसा माना जा रहा है औऱ आशंका जताई जा रही है कि झारखंड में दिल्ली और छत्तीसगढ़ की तरह बड़े पैमाने पर शराब घोटाला हुआ है. इसकी जांच तब सरकार ने एससीबी को सौंपी जब जब छत्तीसगढ शराब घोटाले के जांच के क्रम में इसके तार झारखंड से जुड़े.
लाजमी है कि मौजूदा समय में झारखंड के सियासी और प्रशासनिक हलकों में यह शराब घोटाला हलचल मचाए हुए हैं. ये भी तय है कि जांच का दायरा आगे बढ़ने पर हंगामा बरपेगा . साथ ही सियासत भी अपना रंग इस शराब के घोटाले में उड़ेलेगी.
सवाल ये है कि क्या वाकई विनय चौबे महज एक छोटी मछली है ?. क्या उन्हें बली का बकरा बना दिया गया है ? कोई लॉबी अपने आप को बचाने के लिए आगे कर दिया ? क्या अभी भी बड़ी मछलियां जांच की जाल में नहीं आई हैं ? क्या फिर कोई खुद को बचाने के लिए एक साजिश रच रहा है ?. तमाम प्रश्न उलझे हए धागों के मानिंद अनसुलझे पड़े है . इन्हें आखिर एसीबी कैसे सुलझाती है और आगे क्या होता है. इस पर सभी की नजर बनी हुई है. यह बात तो सच है कि झारखंड बनने के 25 साल होने को हों. लेकिन इन गुजरते सालों, दशकों और सिल्वर जुबली ने यहां के आवाम ने कई घोटाले देखे. अब नई कड़ी में शराब घोटाला सामने आया है
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रिपोर्ट- शिवपूजन सिंह
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