पटना (PATNA) : बिहार की सियासत इन दिनों गरमा गई है. विधानसभा चुनाव से पहले जहां राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है, वहीं मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर विपक्ष और सत्ता पक्ष आमने-सामने हैं. ऐसे में विपक्ष ने चुनाव आयोग पर सत्ताधारी दल के इशारे पर गड़बड़ी करने और मतदाताओं के नाम काटने का आरोप लगाया है. इसी मुद्दे पर महागठबंधन ने आज से ‘वोट अधिकार यात्रा’ की शुरुआत की है. 

सासाराम से होगी यात्रा की शुरुआत 
यह यात्रा 17 अगस्त को रोहतास जिले के सासाराम से शुरू हुई है, जहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव इस यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं. ऐसे में महागठबंधन के अन्य बड़े नेता भी इसमें शामिल होंगे. वहीं अब यात्रा के जरिए विपक्ष जनता को जागरूक करने और “वोट चोरी” के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश करेगा. 

यात्रा के कार्यक्रम :
कुल 16 दिनों तक चलने वाली यह यात्रा 25 जिलों से होकर गुजरेगी. वहीं बीच-बीच में तीन दिन का विश्राम भी रखा गया है. यात्रा का समापन 1 सितंबर को पटना के गांधी मैदान में एक विशाल रैली के साथ होगा. 

मुख्य पड़ाव इस प्रकार हैं:
17 अगस्त: सासाराम (रोहतास) से शुरुआत
18 अगस्त: औरंगाबाद 
19 अगस्त: गया, नालंदा
21 अगस्त: शेखपुरा, लखीसराय
22 अगस्त: मुंगेर, भागलपुर
23 अगस्त: कटिहार
24 अगस्त: पूर्णिया, अररिया
26 अगस्त: सुपौल, मधुबनी
27 अगस्त: दरभंगा, मुजफ्फरपुर
28 अगस्त: सीतामढ़ी, मोतिहारी
29 अगस्त: बेतिया, गोपालगंज, सिवान
30 अगस्त: छपरा, आरा
1 सितंबर: पटना (गांधी मैदान में समापन रैली)

महागठबंधन का कहना है कि यह यात्रा सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि लोकतंत्र और मताधिकार बचाने का अभियान है. दरअसल विपक्ष का आरोप है कि बीजेपी, चुनाव आयोग के जरिए मतदाताओं के नाम काटकर “वोट चोरी” की साजिश रच रही है. 

तेजस्वी यादव ने यात्रा से पहले जारी कैंपेन सॉन्ग में कहा कि “किसी की वोट न कटे और लोकतंत्र की जोत न बुझे, इसके लिए तानाशाहों का सामना करना ज़रूरी है.” उन्होंने लोगों से इस अभियान से जुड़ने की अपील भी की है.  

चुनावी समीकरण पर असर 
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ‘वोट अधिकार यात्रा’ महागठबंधन के लिए जनता से सीधा संवाद स्थापित करने का एक माध्यम बनेगी. 25 जिलों में होने वाली इस यात्रा से विपक्ष न केवल अपनी एकजुटता दिखाना चाहता है बल्कि बीजेपी और जेडीयू पर सीधा हमला बोलकर चुनावी नैरेटिव भी सेट करना चाहता है.