टीएनपी डेस्क- मनुष्य मनुष्य होता है और मशीन मशीन. यह फर्क कभी नहीं मिटने वाला है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर लोगों को भरोसा जरूरत से ज्यादा नहीं करना चाहिए. ऐसा ही एक मामला आया जहां कंपनी को अपनी गलती का एहसास हुआ है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से काम लेने और खर्च घटाने के उद्देश्य से जो कदम उठाए गए वह कंपनी को महंगा पड़ रहा है. कंपनी ने कर्मचारियों को निकाल दिया और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को उसे काम में लगा दिया.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से काम तो हुआ लेकिन बिल्कुल घटिया

अब कंपनी को अपने निर्णय पर पछतावा आ रहा है. यह मामला स्वीडन की मशहूर फिटेक कंपनी क्लारना के साथ हुआ है. क्लारना एक समय यूरोप की सबसे तेजी से बढ़ती हुई फिनटेक कंपनी थी. उसका कारोबार तेजी से बढ़ता जा रहा था. लेकिन कंपनी के प्रबंधन को क्या सूझा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को काम में लगा दिया. 2022 में सैकड़ों कर्मचारियों को नौकरी से बाहर कर दिया‌. 2022 में कोई नियुक्ति नहीं की. ओपन एआई से पार्टनरशिप करके कंपनी ने कस्टमर सर्विस, ट्रांसलेशन और यहां तक की डिजाइनिंग के काम में उतार दिया. कंपनी के सीईओ को लग रहा था कि एक एआई 700 वर्कर्स का काम अकेले कर रही है. इससे 10 मिलियन डॉलर की बचत हुई है अब इस कंपनी को समझ में आया कि इंसान और मशीन में बड़ा फर्क है. एआई ने जो काम किया उसकी क्वालिटी बिल्कुल अच्छी नहीं है इससे कंपनी को बड़ा नुकसान हुआ.  कस्टमर एक्सपीरियंस खराब हो गया.

कंपनी प्रबंधन को समझ में आ गया कि भले ही कंपनी का खर्चा कम हुआ लेकिन इसका प्रतिकूल असर हुआ और ग्राहक भागने लगे. ब्लूमबर्ग कंपनी की रिपोर्ट के अनुसार क्लारना अब फिर से कर्मचारियों को हायर कर रही है. उन जगहों पर कर्मचारियों को लगाया जा रहा है जहां क्लाइंट्स का सीधा इंगेजमेंट है. क्लारना एक फिनटेक कंपनी है जो बाय नाव, पे लेटर के मॉड्यूल पर काम करती है.