टीएनपी डेस्क(TNP DESK): विश्व के लगभग 100 देशों में आदिवासी समुदाय के लोग रहते है. उनकी जनसंख्या 40 करोड़ के लगभग है और इनमें 5000 से ज्यादा अलग-अलग समुदाय है. सात हजार से ज्यादा भाषाएं बोली जाती है. बावजूद इसके आदिवासी समाज आज भी अपनी संस्कृति और सम्मान के लिए संघर्ष कर रहा है. आदिवासी समाज के उत्थान, उनकी संस्कृति, सम्मान और उनको प्रोत्साहित करने के लिए हर साल 9 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस (World Tribal Day) मनाया जाता है. इसी के मद्देनजर झारखंड में भी विश्व आदिवासी दिवस की धूम है. राज्य के हर जिलों में इस अवसर पर कार्यक्रम होंगे. वहीं, रांची के मोरहाबादी मैदान में इसे वृहद पैमाने में और बड़ी धूमधाम से करने की तैयारी है. इस कार्यक्रम में राज्य के सीएम हेमंत सोरेन समेत कई मंत्री और विधायक शामिल होंगे. वहीं, छतीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम में शामिल होंगे.

झारखंड के कुल आबादी का करीब 28 फीसदी हिस्सा आदिवासी समाज के हैं.  इनमें संथाल, बंजारा, बिहोर, चेरो, गोंड, हो, खोंड, लोहरा, माई पहरिया, मुंडा, ओरांव आदि बत्तीस से अधिक आदिवासी समूहों के लोग शामिल हैं. हालांकि यह पहला मौका होगा जब राज्य में इतने धूमधाम से यह दिवस मनाया जाएगा. इससे पहले भी हर साल यह दिवस मनाया जाता था लेकिन इस वर्ष इसे काफी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. 

क्या-क्या होगा खास
राजधानी के मोरहाबादी मैदान में मेघा डालटंन के गाने से इस कार्यक्रम की शुरुआत होगी. इसके अलावा झारखंड, असम, छतीसगढ़ और कई नॉथ ईस्ट ( North East ) राज्यों के लोक कलाकार अपनी समाज और संस्कृति की झलक की पेशकश करेंगे. शाम में फैशन शो का आयोजन होगा. नॉथ ईस्ट का बैंड शो होगा. इसके अलावा कई राज्यों के अलग-अलग बम्बू डांस ( Bamboo Dance ) होगा. वहीं, कई और तरह के आयोजन मोरहाबादी मैदान में होगा. 

ये भी देखें:

सियासी घमासान के बीच भाजपा विधायक ज्ञानू का बयान - NDA सरकार पूरा करेगी कार्यकाल

कौन-कौन होंगे शामिल 
राजधानी स्थित मोरहाबादी मैदान में आदिवासी दिवस के अवसर पर छतीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होंगे. इसके अलावा राज्य के सीएम हेमंत सोरेन, राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन, राज्य के सभी मंत्री, सांसद और विधायकों को न्योता दिया गया है. वहीं, जिले के अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि सभी मुखिया, वार्ड सदस्य, जनप्रतिनिधि को भी कार्यक्रम में शामिल होने को न्योता दीजिए. इसके अलावा कार्यक्रम में कोई भी आम नागरिक प्रवेश कर सकता है. कार्यक्रम सभी के लिए कुला रहेगा और इसके लिए कोई पैसे देने की जरुरत नहीं होगी.

आदिवासी दिवस का थीम
विश्व आदिवासी दिवस के लिए संयुक्त राष्ट्र हर साल एक थीम जारी करती है. इस वर्ष की थीम “संरक्षण में स्वदेशी महिलाओं की भूमिका और पारंपरिक ज्ञान का प्रसारण ” (“The Role of Indigenous Women in the Preservation and Transmission of Traditional Knowledge”.) 

9 अगस्त को ही क्यों मनाया जाता है आदिवासी दिवस
अमरीकी देशों में 12 अक्टूबर को हर साल कोलंबस दिवस मनाया जाता है. उनका मानना था कि कोलंबस उस उपनिवेशी शासन व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसके लिए बड़े पैमाने पर जनसंहार हुआ था. जिसके बाद आदिवासियों ने मांग की कि कोलंबस दिवस की जगह आदिवासी दिवस मनाया जाए. जिसके बाद साल 1977 में जेनेवा में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हुआ और वहीं से कोलंबस दिवस की जगह आदिवासी दिवस की मांग तेज हुई. इस सम्मेलन के बाद आदिवासी समुदाय के लोगों ने मांग तेज की और अंतत: आदिवासी समुदाय ने साल 1989 से आदिवासी दिवस मनाना शुरू किया. हालांकि अभी तक इसे ऑफिशियल नहीं किया गया था. धीरे-धीरे इस मुहिम को जनसमर्थन मिलता गया और अतत: 12 अक्टूबर 1992 को अमरीकी देशों में कोलंबस दिवस के स्थान पर आदिवासी दिवस मनाने की प्रथा शुरू हो गई. इसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्यदल का गठन किया. इस कार्यदल की पहली बैठक 9 अगस्त 1982 को जेनेवा में हुई. जिसके बाद ही 9 अगस्त की तारीख घोषित की गई. आपको बता दें कि पहली बार अमरीका में 1994 में आदिवासी दिवस मनाया गया था.