रांची(RANCHI): झारखंड नक्सलवाद का पुराना गढ़ माना जाता है. लेकिन अब समय के साथ नक्सली वजूद बचाने की लड़ाई लड़ रहे है. बूढ़ा पहाड़ सफाया के बाद अब कोल्हान से नक्सलियों को खत्म करने की अंतिम लड़ाई की शुरुआत कर दी गई. इस लड़ाई में CRPF के साथ झारखंड जागुआर की टीम की भूमिका बड़ी होने वाली है. पुलिस मुखिया ने दावा किया है कि नक्सली का नाम और निशान झारखंड से साफ हो जाएगा. खुद DGP ने चाईबासा क्षेत्र में समीक्षा कर पूरे अभियान और जमीनी हकीकत को जानने की कोशिश की गई है.
दरअसल झारखंड के बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों का गढ़ माना जाता था. इस यहाँ नक्सलियों के शीर्ष नेताओं का डेरा रहता था. लेकिन सुरक्षा बल के जवानों ने इस पहाड़ को कब्जे में लेकर नक्सलियों का सफाया कर दिया. जिसके बाद नक्सली कोल्हान के बीहड़ को अपना ठिकाना बना चुके है. लेकिन अब इस पूरे जंगल की घेरा बंदी कर झारखंड पुलिस,CRPF,झारखंड जागुआर,कोबरा समेत कई सुरक्षा बल के जवान अंतिम लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने में लगे है.
इस पूरे अभियान पर पुलिस महानिदेशक अनुराग गुप्ता ने कहा कि झारखंड में नक्सली पाँच प्रतिशत बचे है. 95 प्रतिशत उग्रवादियों का सफाया हुआ है. अब कोल्हान में बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के जरिए नक्सलियों के खिलाफ अंतिम लड़ाई की शुरुआत की गई है. पूरे इलाके में जवानों की तैनाती है. जल्द ही इस जंगल को भी नक्सलियों से मुक्त कर लिया जाएगा. साथ ही DGP ने कहा कि अंतिम लड़ाई में झारखंड जागुआर की बड़ी भूमिका होने वाली है. जागुआर की सभी कंपनी चाईबासा में तैनात किए जाएंगे.
अनुराग गुप्ता ने कहा कि कुछ दिन पहले ही चाईबासा क्षेत्र में पूरे अभियान की समीक्षा की है. इस समीक्षा में CRPF के अधिकारियों के साथ साथ JJ के अधिकारी मौजूद थे. इस दौरान JJ की 34 टीम को चाईबासा में लगाने का निर्देश दिया है. इस अंतिम लड़ाई को जल्द ही निर्णायक करने की कोशिश है.
अब तक बड़े नक्सलियों के गिरफ़्तारी को देखे तो आकड़े बताने के लिए काफी है कि पुलिस की कार्रवाई किस तरह से की गई है. कमजोर होते नक्सली सुरक्षा बल के डर से अपने हथियार भी पुलिस के सामने डाल दिया है. इसमें पाँच लाख से लेकर 25 लाख तक के इनामी नक्सली शामिल है.
गिरफ्तार बड़े इनामी नक्सली व इनाम राशि
- प्रशांत बोस उर्फ किसन दा उर्फ बूढ़ा (एक करोड़, 12 नवंबर 2021)
- नंदलाल मांझी उर्फ हितेश उर्फ नंदलाल सोरेन (25 लाख)
- रमेश गंझू उर्फ आजाद (15 लाख)
- बलराम उरांव (दस लाख)
- भीखन गंझू (दस लाख)
- सुदर्शन भुइया (पांच लाख)
- बालक गंझू (पांच लाख)
- किशोर सिंह उर्फ विमल सिंह (पांच लाख)
- नोएल सांडी पूर्ति (दो लाख)
- संतोष कंडुलना (दो लाख)
- ओझा पाहन (एक लाख)
- सैमुएल कंडुलना उर्फ सामू (दो लाख)
- राकेश साव (एक लाख)
- सुजीत कुमार राम उर्फ सानू जी (दो लाख)
- शीला मरांडी (सेंट्रल कमेटी सदस्य)
- प्रद्युमन शर्मा (स्पेशल एरिया कमेटी सदस्य)
- नरेश गंझू (सब जोनल कमांडर)
- उदय उरांव (सब जोनल कमांडर)
आत्मसमर्पण करने वाले कुख्यात नक्सली
- राधेश्याम यादव उर्फ उमेश यादव उर्फ विमल यादव (25 लाख)
- मुकेश गंझू उर्फ मुनेश्वर गंझू (15 लाख)
- जोनल कमांडर अमरजीत यादव उर्फ टिंगू(दस लाख)
- महाराज प्रमाणिक उर्फ राज (दस लाख)
- सुरेश सिंह मुंडा (दस लाख)
- जीवन कंडुलना (दस लाख)
- रघुवंश गंझू (दस लाख)
- सब जोनल कमांडर सहदेव यादव उर्फ लटन(पांच लाख)
- नागेश्वर गंझू उर्फ तरुण (पांच लाख)
- नुनूचंद महतो (पांच लाख)
- लोदरो लोहरा (दो लाख)
- संजय प्रजापति (दो लाख)
- पत्थर जी उर्फ लक्ष्मण गंझू (एक लाख)
- सूरज सरदार व गीता मुंडा।
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