रांची(RANCHI): झारखंड में चुनाव की सागर्मी तेज है. सभी विधानसभा सीट उम्मीदवार को लेकर चर्चा शुरू है और सभी दावेदार भी लाइन में लगे है. अपनी-अपनी पार्टी से टिकट की उम्मीद लगाए हुए है. इसमें हम बात करेंगे रांची विधानसभा सीट की. सबसे पहले यहां बता दे कि रांची विधानसभा भाजपा का गढ़ माना जाता है. झारखंड गठन से ही यहां भाजपा के उम्मीदवार जीतते आ रहे है. अब चुनौती झामुमो के पास भी है कि क्या 2024 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के विजय रथ को कैसे रोकना है. झामुमो की ओर से एक चेहरा सामने है, लेकिन भाजपा में कई दावेदार लाइन लगे हुए है.
कितना है वोटरो की संख्या
इससे पहले रांची विधानससभा सीट को जान लेना बेहद जरूरी है. सबसे पहले बताते है कि रांची विधानसभा क्षेत्र में मतदाता की संख्या 3 लाख 46 हजार 7 सौ 65 से अधिक है. इसमें पुरुष 181603 और महिला 165129 है. इसमें महिला 47.7 प्रतिशत और पुरुष 52.8 है. कुल वोटर में 49 प्रतिशत ही अपने मत का प्रयोग करते है. इस विधानसभा क्षेत्र में शिक्षा का दर 87 प्रतिशत से अधिक है.
जातिगत क्या है समीकरण
अगर रांची विधानसभा में जातिगत आंकड़ें को देखें तो मुस्लिम आबादी जो अपने मत का उपयोग करते है, उनकी संख्या 83917 है. कुल वोटर में 24.2 प्रतिशत आबादी इसके अलावा हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग 49.38 से अधिक है. वहीं 26.42 प्रतिशत अन्य धर्म को मानने वाले है. कुल आबादी में युवाओं की भूमिका भी अहम है. टोटल वोटर्स में से करीब 6 प्रतिशत यानी लगभग 18 हजार से अधिक युवा मतदाता है.
पिछले दो चुनाव में बढ़ा झामुमो का वोट प्रतिशत
अब पिछले दो विधानसभा चुनाव में आंकड़ों को देखें तो झामुमो धीरे-धीरे भाजपा पर भारी पड़ती जा रही है. भले चुनाव में झामुमो जीत के आंकड़ें तक नहीं पहुंच सकी, लेकिन परिणाम झामुमो के लिए बेहतर दिखा और भाजपा के लिए मंथन करने वाला. 2014 के विधानसभा चुनाव में जहां भाजपा के सीपी सिंह ने 95760 वोट लाए तो झामुमो की महुआ माजी 36897 तक सिमट गई. लेकिन 2019 के चुनाव में यह फासला महज पांच हजार पर पहुंच गया. 2019 के चुनाव में आमने-सामने की लड़ाई देखने को मिली. 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार सीपी सिंह का वोट शेयर 17.59 प्रतिशत कम हुआ. जबकि महुआ का 18.51 प्रतिशत बढ़ा है.
भाजपा के लिए खतरे की घंटी
पिछले चुनाव के आंकड़ें को देख कर साफ है कि झामुमो ने पिछले 10 साल में काफी मेहनत किया है. जिससे वोट प्रतिशत को अपने ओर खीचने में कामयाब रही है. अब 2024 के चुनाव में अगर भाजपा के मौजूदा वोट बैंक में पांच प्रतिशत सेंधमारी हो जाती है तो भाजपा के लिए खतरे की घंटी होगी. इसके अलावा रांची में महिलाओं की भूमिका भी अहम होने वाली है. साथ ही युवा वोटर निर्णायक साबित हो सकते है.
नया चेहरा भी भाजपा को पहुंचा सकता है नुकसान
अब कौन प्रत्याशी मैदान में आएंगे यह भी तय करेगा की आखिर चुनाव में क्या होने वाला है. इसपर एक नजर डाले तो रांची विधानसभा से भाजपा इस बार नए चेहरे को सामने ला सकती है. वर्तमान विधायक सीपी सिंह का टिकट इसपर कट सकता है. टिकट काटने के पीछे का कारण उम्र हो सकता है. इनके जगह रांची से रमेश सिंह टिकट के रेस में आगे चल रहे है. वहीं झामुमो को देखें तो पुराने चेहरे में महुआ माजी को ही मैदान में उतारने की तैयारी है .इससे भी चुनाव में परिणाम पर फर्क पड़ सकता है. क्योंकि नए चेहरे पर भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है. वहीं यह चेहरा बदलना झामुमो के लिए फायदा हो सकता है.
इन मुद्दों पर होगा वोट
अब रांची में मुद्दों को देख लें तो सबसे बड़ी समस्या यहां पेयजल,ड्रेनेज और सड़क की है. अधिकतर इलाकों में पानी की घोर समस्या है. जेठ के मौसम में पानी के लिए हाहाकार मचा रहता है. इसके अलावा बरसात के मौसम में रांची के कई इलाकों में पानी भरा मिलता है. क्योंकि ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त नहीं है. अब सड़क की बात करें तो विधानसभा क्षेत्र में सड़क के हालत भी सही नहीं है. संकीर्ण सड़कों से गुजरने में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है.
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