चाईबासा(CHAIBASA): भारत युवाओं का देश है. भारत की 50 प्रतिशत से अधिक आबादी युवा है और युवाओं में खेलों के प्रति काफी रुचि देखी जाती है. मगर खेलों में भी आज के समय में क्रिकेट के प्रति सबसे ज्यादा दीवानगी देखी जाती है. आप किसी भी युवा से पूछ लें वो क्या खेलना पसंद करते हैं तो लगभग लोगों के जवाब आपको क्रिकेट मिलेंगे, लेकिन झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में तीरंदाजी के प्रति आपको काफी दीवानगी देखने को मिलेगी. यहां के युवा आज भी तीरंदाजी को अपना करियर बनाना चाहते हैं. इस जिले से कई ऐसे खिलाड़ी निकले हैं, जिन्होंने ना सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी अपना परचम लहराया है. आपको बता दें कि ओलंपियन तीरंदाज मंगल सिंह चांपिया, पूर्व ओलंपियन माझी सावैयां जैसे धाकड़ तीरंदाज भी इसी जिले से आते हैं.

तुरतुंग तीरंदाजी प्रशिक्षण केंद्र का है बड़ा हाथ

जिले में तीरंदाजी को बढ़ावा देने में चाईबासा के तुरतुंग तीरंदाजी प्रशिक्षण केंद्र का बड़ा योगदान है. सीमित संसाधनों के साथ ही यह क्रेंद करीब 145 बच्चों को प्रशिक्षण दे रहा है. इस क्रेंद को प्रशिक्षक महर्षि महेंद्र सिंकु और सहायक प्रशिक्षक शैलेंद्र सावैयां चलाते हैं. उनका कहना हैं कि हमें ना तो सरकार से कोई मदद मिलती है ना ही जिला प्रशासन की ओर से कोई सहयोग किया जाता है. हालांकि उनका यह भी कहना है तमाम असुविधाओं के बावजूद भी हमारे बच्चे कई जगह से पदक जीत कर आ रहे हैं, अगर सरकार और स्थानीय प्रशासन हमारी मदद करेगा तो हमारे बच्चें पूरी दुनिया में अपना नाम कमा सकते हैं.  

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केंद्र में नहीं है मूलभूत सुविधा

तुरतुंग तीरंदाजी प्रशिक्षण केंद्र में बच्चों के लिए कोई सुविधा तक नहीं है. केंद्र में ना बैठने की व्यवस्था है ना ही कोई शेड है. बरसात में बच्चों को प्रशिक्षण तक रोकना पड़ जाता है. उतने अभावों के बावजूद भी यहां के बच्चे कई पदक जीतने में कामयाब रहे हैं.    

ये जीत चुके हैं पदक

संचालक ने बताया कि लगातार इस जिले से तीरंदाज निकल रहे हैं. बच्चे जिला से लेकर नेशनल तक परचम लहरा रहे हैं. दीप्ति बोदरा, असरिता बिरुली, सुष्मिता बिरुली, चांदमनी कुंकल, जानो पुरती, बसंती बिरुवा, मैकलिन बारी, जीवन देवगम, विजय कुदादा, कन्हैयालाल बिरुली, विजय धनवा, मनाए पुरती, विजय सुंडी ने जिला और नेशनल स्तर में कई पदक चुके हैं. दीप्ति बोदरा नेशनल लेवल पर लगातार पदक जीत रही है. हाल ही में पंजाब में उसने कोल्हान यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधित्व करते हुए कई पदक जीता था, तब उपायुक्त और यूनिवर्सिटी ने भी उसको सम्मानित किया था. इसके अलावा यहां से प्रशिक्षित तीरंदाजों को भारतीय सेना में भी खेल कोटे से नौकरी मिल चुकी है, ओलंपियन तीरंदाज मंगल सिंह चांपिया जैसे तीरंदाज भी इस केंद्र का दौरा कर चुके हैं.

रिपोर्ट: संतोष वर्मा, चाईबासा