टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : राज्य में मंईयां सम्मान योजना की 10वीं किस्त अब लाभुकों के खाते में भेजी जा रही है. योजना की किस्त देने की शुरुआत 4 जुलाई से पलामू से की गई है और इसके बाद गोड्डा सहित कई जिलों में लाखों महिलाओं के खाते में पैसे भेजे जा रहे हैं. ऐसे में जब मंईयां के खाते में पैसे भेजे जा रहे हैं तो राज्य के बबुआ यानि की युवाओं से सरकार को क्या नाराजगी है, यह सवाल आज राज्य के हर एक युवा के मन में उठ रहा है.

दरअसल मामला है e-कल्याण छात्रवृत्ति का जिसकी आस में अभी भी राज्य के युवा बस राह ताक रहे हैं. वहीं दूसरी ओर राज्य में एक के बाद एक मंईयां योजना की किस्त महिलाओं के खाते में भेजी जा रही है और राज्य के छात्र जो राज्य का भविष्य हैं उनके साथ ऐसा सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है. इस मुद्दे पर राज्य के छात्रों का आक्रोश भी देखने को मिल रहा है. यहाँ तक की एक छात्रों ने हाल ही में X पर पोस्ट कर यह भी कहा है कि 'सरकार ये बात क्यों नहीं समझ रही है कि इससे ज्यादा स्कालर्शिप की जरूरत है.' पोस्ट के साथ मंईयां योजना के तहत भेजे गए किस्त के मैसेज का स्क्रीनशॉट भी पोस्ट किया गया है और यहाँ मंईयां योजना की किस्त की बात कही गई है.

अब बात साफ है कि छात्र छात्रवृत्ति की आस लगाए बैठे हैं. वहीं दूसरी ओर झारखंड सरकार का ध्यान सिर्फ मंईयां योजना पर ही टिका हुआ है. यहां विचार करने वाली बात तो यह भी है की मंईयां योजना की किस्त ज्यादा जरूरी है या छात्रवृत्ति.

साथ ही बड़ा सवाल यह भी है कि क्या सरकार का ध्यान महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की आड़ में युवाओं की अनदेखी तो नहीं किया जा रहा है? राज्य के युवा सिर्फ आर्थिक मदद की आस में नहीं बैठे हैं, बल्कि उन्हें अपने भविष्य को संवारने के लिए एक मजबूत सहारा चाहिए, जो छात्रवृत्ति के रूप में मिल सकता है, पर जब छात्र उच्च शिक्षा के लिए पैसे के अभाव में जूझते हैं, तो यह प्रशासनिक प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े करता है.