टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : आज के इस डिजिटल युग में इंटरनेट पर कंटेन्ट की भरमार है. कुछ कंटेन्ट बहुत अच्छे हैं तो कुछ बुरे. अलग-अलग देशों ने अपने हिसाब से कंटेन्ट को वैध (legal) और अवैध (illegal) करार कर रखा है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म चाहे वो फेसबुक हो, ट्वीटर हो, टिकटोक हो या दिग्गज टेक कंपनी गूगल ही क्यों ना हो, उन्हें इन देशों के कानून के हिसाब से कंटेन्ट को दिखाना होता है. अगर ये सोशल मीडिया साइट्स ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें भारी भरकम जुर्माना और कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ता है. कुछ ऐसा ही फेसबुक के साथ रूस में हुआ है.

क्या हुआ है?

फेसबुक को इलीगल कंटेन्ट नहीं हटाने के कारण 17 मिलियन रूबेल यानि की लगभग 1.7 करोड़ रुपए जुर्माने के तौर पर रूस को देना पड़ा है. रूस की समाचार एजेंसी इंटरफैक्स ने बताया कि रूसी सरकार (Russian government) के कहने के बावजूद फेसबुक ने अपने प्लेटफॉर्म से कुछ कंटेन्ट को नहीं हटाया. ये सारे कंटेन्ट रूस के कानून के मुताबिक अवैध हैं. जिसके कारण फेसबुक को 1.7 करोड़ रूबल (लगभग 1.7 करोड़) का जुर्माना भरना पड़ा है. माना जा रहा है कि फेसबुक ने बड़े जुर्माने के संभावित खतरे को भांपते हुए ये जुर्माना भरा है. दरअसल, कुछ दिनों पहले मॉस्को की एक कोर्ट ने एक सुनवाई करते हुए ये जुर्माना लगाया था. इसमें फेसबुक की पैरेंट कंपनी ‘मेटा’ के अलावा गूगल की पैरेंट कंपनी ‘अल्फाबेट’ पर भी जुर्माना लगाया है. इन कंपनियों पर कंटेंट को लेकर रूस के कानून का बार बार उल्लंघन करने का आरोप है और इस वजह से इनके सालाना रेवेन्यू का कुछ प्रतिशत जुर्माने के रूप में वसूलने की बात की गई है. कोर्ट द्वारा फेसबुक के अलावा ट्विटर पर 50 लाख रूबल (करीब 50.49 लाख रुपये) और मैसेजिंग एप टेलीग्राम पर 90 लाख रूबल (करीब 90.88 लाख रुपये) का जुर्माना लगाया है.

इस खबर को क्यों महत्वपूर्ण माना जा रहा है?

रूस की सरकार ने तमाम बड़ी टेक कंपनियों के लिए सख्त रुख अपना रखा है. रूस सरकार अमेरिकी कंपनियों सहित 13 विदेशी कंपनियों से 1 जनवरी तक रूस में ही कंपनी को अपना सेटअप करने को कहा है. ऐसा न होने पर इन कंपनियों पर बैन लग सकता है. इस लिस्ट में फेसबुक, ट्विटर और टिकटॉक भी शामिल हैं. माना जा रहा है कि सरकार इंटरनेट को सख्ती से कंट्रोल करने के लिए कंपनियों पर दबाव बढ़ा रही है. कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म पर ही रूसी नागरिकों से संबंधित सभी डाटा को संग्रह (store) करना होगा, जिसे बाद में रूस की सरकार के साथ साझा करना जरूरी होगा. वहीं इसके आलोचकों का कहना है कि इस कदम से निजी और कॉरपोरेट स्वतंत्रता (freedom) का गला घोंटा जा रहा है.

भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?

दुनियाभर में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को सिक्योरिटी को लेकर संदेह की नजरों से देखा जा रहा है. भारत में हाल ही में भारत सरकार और Twitter के बीच टकराव देखने को मिला था. काफी लंबे समय से सोशल मीडिया के कंट्रोल की भी बात की जा रही है. ऐसे में भारत सरकार भी इन कंपनियों पर दबाव बनाना चाहेगी. हालांकि, भारत सरकार लोगों के डाटा के साथ छेड़-छाड़ से बचना चाहेगी. क्योंकि, यहां के नियम रूस से अलग है. भारत और रूस के अपने-अपने अलग कानून हैं. वहीं आपको बता दें कि इसी साल भारत सरकार ने नया आईटी ऐक्ट 2021 लागू किया है जिसमें किसी भी कंटेन्ट को सरकार या प्रशासन हटाने का आदेश देती है तो इन कंपनियों को 36 घंटे के अंदर उस कंटेन्ट को अपने प्लेटफॉर्म से हटाना होगा. ऐसा नहीं करने पर सरकार सख्त एक्शन लेगी.