टीएनपी डेस्क (TNP DESK) :  हम आए दिन फोन पर अपने चाहने वालों से घंटों बातें करते हैं, इंटरनेट पर अपने इन्टरेस्ट से जुड़ी चीजें सर्च करते हैं. लेकिन आपको पता हैं कि हम जो भी बातें करते हैं या सर्च करते हैं वो सबका रिकार्ड टेलीकॉम कंपनियां स्टोर कर के रखती हैं. अब जब ये पता चल गया है कि ये कंपनियां हमारी सारी डीटेल स्टोर कर रखती हैं. तो ये भी बता देते हैं कि ये डाटा कितने समय के लिए और किसके कहने पर स्टोर होता है.

आपको बता दें कि टेलीकॉम कंपनियां हमारे सारे डाटा को हमारी सरकार के कहने पर ही स्टोर कर रखती हैं. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि टेलीकॉम मिनिस्ट्री ने एक अमेंडमेंट के जरिए टेलीकॉम कंपनियों द्वारा स्टोर की जाने वाली हमारी सारी डाटा का समय सीमा बढ़ा दिया है. अब इस नए अमेंडमेंट के बाद टेलीकॉम कंपनियों को इन सारे डाटा को दो सालों के लिए अपने पास स्टोर करके रखना होगा. पहले यह नियम मात्र एक साल के लिए था.

सरकार ने क्यों बढ़ाई समय सीमा?

टेलीकॉम मिनिस्ट्री के सर्कुलर के अनुसार सुरक्षा कारणों से इन कंपनियों को यह डाटा दो सालों के लिए स्टोर करना होगा. इस सर्कुलर के अनुसार, लाइसेंसधारी नेटवर्क को आदान-प्रदान किए गए सभी कमरशियल रिकॉर्ड, कॉल डीटेल, एक्सचेंज डीटेल, आईपी डीटेल रिकॉर्ड को बनाए रखना होगा. हालांकि, इसके बाद ये कंपनियां इन रिकार्ड को चाहे तो समाप्त कर सकती हैं. सरकार का कहना है कि यह संशोधन जनहित और राज्य की सुरक्षा के लिए साथ ही कंपनियों के उचित संचालन के लिए आवश्यक है.

इस संशोधन के जरिए टेलीकॉम कंपनियों को इंटरनेट एक्सेस, ई-मेल, इंटरनेट टेलीफोनी सेवाओं जैसे मोबाइल एप्लिकेशन से की गई कॉल या वाईफाई कॉलिंग जैसी सेवाओं के लिए कम से कम दो साल के लिए सभी ग्राहकों के लॉगिन और लॉगआउट डीटेल सहित ग्राहकों के इंटरनेट डेटा रिकॉर्ड को बनाए रखना अनिवार्य है.

इससे लोगों पर क्या फर्क पड़ेगा?

इस फैसले का लोगों के जीवन पर कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है. क्योंकि ये डाटा तो पहले भी स्टोर होती ही थी. बस अब इसकी समय-सीमा बढ़ गई है. इस फैसले के बाद अब लोगों को सावधान होना चाहिए कि वे इन टेलीकॉम कंपनियों द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं का सावधानी से उपयोग करें.