टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : महात्मा गांधी की पंसदीदा धुन “अबाइड विद मी” इस बार 29 जनवरी को  बीटिंग रिट्रीट समारोह में सुनाई नहीं देगी. बता दें कि महात्मा गांधी की पुण्यतिथि से एक दिन पहले होने वाले बीटिंग रिट्रीट समारोह में  इस धुन को सबसे अंत में बजाया जाता था. यह परंपरा 1950 से लगातार जारी थी.

सरकारी सूत्रों के हवाले मिली जानकारी के अनुसार इस साल देश चूंकि अमृत महोत्सव मना रहा है, इसलिए सिर्फ और सिर्फ स्वदेशी धुनों को बजाना ही सही माना गया है. भारतीय सेना की ओर से शनिवार को जो ब्रोशर जारी किया गया है, इसमें इस धुन का जिक्र नहीं है.

जानिए “अबाइड विद मी” के बारे में

1847 में स्कॉटिश कवि हेनरी फ्रांसिस लाइट ने इस भजन को लिखा था. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ये भजना काफी पसंद की गई. भारत में यह भजन महात्मा गांधी के कारण ही फेमस हुआ. उन्होंने सबसे पहले इसे साबरमत आश्रम में  सुना था.

जानिए क्यों और क्या होती है बीटिंग रिट्रीट

बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी दरअसल सेना की बैरक वापसी का प्रतीक है. इस समारोह की परंपरा पूरी दुनिया में नजर आती है. सूर्यास्त होने पर लड़ाई थम जाती थी. सैनिक हथियार रखकर अपने कैंप में जाते थे. तब एक म्यूजिकल प्रोग्राम होता जिसे बीटिंग रिट्री सेरेमनी कहा जाता है. भारत में इसकी शुरुआत वर्ष 1950 से हुई. तब से लगातार कार्यक्रम के अंत में महात्मा गांधी का यह प्रिय धुन बजाया जा रहा है. हालांकि वर्ष 2020 में भी पहली बार इसे हटाया गया था. लेकिन तब बहुत हंगामा-विवाद हुआ. इसके बाद वर्ष 2021 में इसे फिर से समारोह में शामिल कर लिया गया था. इस बार एक बार फिर इसे हटाने की घोषणा हुई.