टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : कोविड की वजह से मारे गए आश्रितों को मुआवजे की राशि के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में मुआवजे की राशि के वितरण को सुनिश्चित कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने विस्तृत दिशा निर्देश जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने हर राज्य को अंडर सेक्रेटरी या इससे ऊपर के दर्जे के अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त करने को कहा है. नियुक्त नोडल अधिकारी की नियुक्ति सिर्फ इसी काम के लिए होगी. सुप्रीम कोर्ट ने साफ –साफ कहा है कि मुआवजे की अर्जियों में यदि कोई गलती, कोई भूल या कोई कमी है उसे रद्द करने की बजाए उसे समय रहते सुधार कराया जाए. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्य से लेकर प्रखंड स्तर पर कार्यरत विधिक सेवा प्राधिकरण को भी इस काम में पीड़ित आवेदकों और सही हकदारों की पहचान में मदद करने को कहा है.  

कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की आलोचना की

महाराष्ट्र सरकार द्वारा सिर्फ ऑनलाइन आवेदनों पर ही मुआवजा देने पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी आलोचना की है. कोर्ट ने कहा कि यह कहीं से भी व्यवहारिक नहीं है. पीड़ितों द्वारा दिए गए ऑफलाइन अर्जियों को खारिज कैसे क्या किया जा सकता है? आपको क्या लगता है कि सुदूर गांवों में रहने वाले गरीब और कम पढ़े लिखे लोग ऑनलाइन अर्जी देंगे?

एक हफ्ते में जानकारी दे राज्य सरकार

सुप्रीम कोर्ट मुआवजे की राशि के मामले में काफी संवेदनशील है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि राज्यों को व्यावहारिक तरीके से लोगों की मदद के उपाय करने चाहिए. लेकिन उन्होंने सिर्फ हमें आंकड़े दिए हैं. कोर्ट के आदेश की भावना थी कि कोविड की वजह से मृत लोगों के आश्रितों तक अगर योजना का लाभ नहीं पहुंच रहा है तो उसे रास्ता दिखाया जाए. राज्यों ने अपने हलफनामे में बताया ही नहीं कि इस महामारी की वजह से कितने बच्चे यतीम हुए? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य हमें इन सारी बातों की विस्तृत जानकारी चार्ट के जरिए एक हफ्ते में दें. राज्य इसमें कोई लापरवाही ना बरते.