टीएनपी डेस्क(TNP DESK):  बेरोजगारी के खिलाफ राष्ट्रीय आन्दोलन की रूप रेखा बनाने को लेकर दो दिवसीय राष्ट्रीय रोजगार सम्मेलन का समापन दिल्ली के शाह ऑडिटोरियम सिविल लाइन्स में हुआ, जिसमें निर्णय लिया गया कि 16 अगस्त से दिल्ली में बेरोजगारी के खिलाफ राष्ट्रीय रोजगार आन्दोलन शुरू होगा.

राष्ट्रीय रोजगार नीति की है जरूरत”

सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे गोपाल राय ने कहा कि बेरोजगारी के समाधान के लिए राष्ट्रीय रोजगार नीति बनाना वक्त की मांग है. देश बेरोजगारी के भयावह संकट से जूझ रहा है. बड़ी-बड़ी डिग्रियां लेकर भी युवा आज काम के लिए दर-दर भटक रहे हैं. रोजगार का नया सृजन करना तो दूर देशभर में लाखों खाली पड़ी सरकारी वेकैंसी पर भी भर्ती नहीं की जा रही है. इसके उलट भर्ती की जगह युवाओं को लाठियां मिल रही है अभी हाल ही में पूरे देश ने देखा कि किस तरह रेलवे RRB-NTPC की भर्ती को लेकर छात्रों के उपर बर्बर दमन किया गया. जहां भर्ती हो भी रही है, ठेकेदारी व्यवस्था के तहत हो रही है. जहां मिनिमम वेज इतना कम है कि जिससे काम करने के बावजूद भी लोगों को सम्मानपूर्वक जीवन जीना मुश्किल हो रहा है. प्राइवेट सेक्टर में भी रोजगार के नए अवसर पैदा होने की जगह छटनी की तलवार लोगों के सर मंडरा रही है. वहीं हम देख रहे है कि देश के किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानून बनवाने के लिए संघर्ष करने को मजबूर हैं. जहां तक देश की आधी आबादी महिलाओं का प्रश्न है, उनकी आर्थिक मजबूती के लिए सरकार के पास कोई कार्ययोजना नही है.  

200 से अधिक संगठन ने लिया सम्मेलन में भाग

राष्ट्रीय रोजगार सम्मेलन मे आये देश भर के 200 से अधिक प्रमुख छात्र संगठन, युवा संगठन, शिक्षक संगठन, ट्रेड यूनियन, किसान यूनियन, महिला संगठन, LGBTIQ+, पत्रकार संगठन, दलित संगठन, आदिवासी संगठन, NGO's आदि संगठनों की संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति (SRAS) बनी, SRAS के सभी सदस्यों ने देश भर के अन्य संगठनों को रोजगार आंदोलन में जोड़ने की सामूहिक जिम्मेदारी ली. पिछले वर्ष दिल्ली के जंतर-मंतर पर हुई रोजगार संसद की तर्ज पर, 1 मई से 26 जून तक सभी राज्यों मे रोजगार संसद का आयोजन होगा, जिसमें वहां के सभी संघर्षरत संगठन शामिल होंगे.