टीएनपी डेस्क(TNP DESK): टेक की जानी मानी कंपनी Apple Inc. और फेसबुक की पेरन्ट कंपनी Meta Platforms Inc. ने अपने यूजर्स के डाटा को हैकर्स के साथ शेयर किया है. इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के अनुसार कुछ हैकर्स ने law enforcement officials के रूप में emergency data requests का मांग इन दोनों कंपनियों से किया था. इसके बाद इन दोनों कंपनियों ने मतलब कि facebook और apple ने अपने यूजर्स का डीटेल जिसमें यूजर्स का address, फोन नंबर और ip address जैसे basic subscriber details शामिल थे, उसे इन हैकर्स के साथ शेयर किया है.
क्या टेक कंपनियां किसी को भी डाटा शेयर कर सकती है?
अब सवाल ये उठता है कि क्या facebook और apple जैसी कंपनियां किसी को भी ऐसे ही डाटा शेयर कर सकती हैं? तो इसका जवाब है कि नहीं, मगर आम तौर पर, इस तरह के request केवल किसी जज द्वारा साइन किये गए एक सर्च वारंट या समन के बाद ही किसी के साथ प्रदान किए जाते हैं. हालांकि, emergency request के लिए कोर्ट के आदेश की आवश्यकता नहीं होती है.
वहीं एक और कंपनी जिसका नाम SNAP Inc. है, इस कंपनी को भी उसी हैकर्स से एक fake legal request प्राप्त हुआ, लेकिन अभी ये कन्फर्म नहीं है कि कंपनी ने जवाब में डेटा प्रदान किया था या नहीं. यह भी स्पष्ट नहीं है कि कंपनियों ने कितनी बार इन fake legal request के बहकावे में आकर डाटा शेयर किया है.
रिकर्सन टीम ने भेजा है fake legal request
इस पूरे केस की जांच में शामिल लोगों की मानें तो "रिकर्सन टीम" के रूप में जाने जाने वाले साइबर क्राइम ग्रुप से जुड़े हैकर्स इस fake legal request के पीछे शामिल हैं, जो 2021 से लगातार सोशल मीडिया प्लाटफॉर्म्स को भेजे जा रहे हैं. वहीं कुछ लोगों का मानना है कि रिकर्सन टीम अब सक्रिय नहीं है, लेकिन इसके कई सदस्य अलग-अलग नामों से हैकिंग करते रहते हैं.
हैकर्स इन डाटा का क्या करेंगे?
आज के समय में जिसके पास जितनी ज्यादा इनफार्मेशन वो उतना ही ताकतवर माना जाता है, ऐसे में ये हैकर्स इन डाटा और इनफार्मेशन से लोगों को कई तरह से प्रभावित कर सकते हैं. मगर, जो आमतौर पर देखा गया है कि हैकर्स इन डाटा का उपयोग किसी को उत्पीड़ित कर उनसे पैसे लेने के लिए करते हैं. हैकर्स यूजर्स की इन जानकारियों से उनके बैंक खाते से पैसे भी उड़ा ले जाते हैं.
हजारों बार कंपनियों के पास भेजा गया है emergency data requests
ये न्यूज यूजर्स के लिए डरावनी इसलिए भी हो जाती है क्योंकि ऐप्पल और मेटा दोनों लगातार emergency data requests के अनुपालन पर डेटा प्रकाशित करते हैं. इस emergency data requests की डाटा की बात करें तो जुलाई 2020 से दिसंबर 2020 तक, Apple को 29 देशों से 1,162 emergency requests प्राप्त हुए. अपनी रिपोर्ट के अनुसार, Apple ने उन अनुरोधों में से 93% के जवाब में डेटा प्रदान किया है. वहीं मेटा ने कहा कि उसे जनवरी 2021 से जून 2021 तक वैश्विक स्तर पर 21,700 आपातकालीन अनुरोध प्राप्त हुए और उसने 77% अनुरोधों के जवाब में कुछ डाटा प्रदान किया है.
हैकर्स का सीधे फेसबुक और एप्पल जैसी कंपनियों से धोखाधड़ी कर यूजर्स का डाटा चुराना सभी प्लेटफॉर्म के लिए एक मुसीबत बन चुका है. इससे कंपनियों के साख पर तो बात आई ही हैं कि क्योंकि ये एक तरह से उनका सिक्युरिटी फैल्यर है वहीं दूसरी ओर ये उन करोड़ों यूजर्स के लिए बड़ी परेशानी है जिनका पर्सनल डाटा इन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है.
Recent Comments