टीएनपी डेस्क(TNP DESK): बिहार में विकास की नींव माने जाने वाले पंचायती राज्य विभाग से जुड़े स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने सरकार के विकास कार्यों का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है. हाल ही में प्रदेश के जिलों में मुखियाओं की हत्या की खबरों ने जनप्रतिनिधियों को अलर्ट कर दिया है. अब वह सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है.बिहार मुखिया संघ के प्रदेश अध्यक्ष मिथिलेश कुमार ने यह बताया कि भागलपुर के कुमैठा पंचायत की मुखिया अनीता देवी की हत्या, सिवान के हुसैनगंज में मुख्य मुखिया प्रतिनिधि विश्वकर्मा बिंद और उनके भगीने की हत्या, सारण के एकमा के पचुआ मुखिया श्यामकिशोर तिवारी पर जानलेवा हमला कर अपराधियों ने पंचायत प्रतिनिधियों को दहशत में डाल दिया है.

सरकार ने मुखियाओं एवं जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा को लेकर किए गए वादों को तोड़ा

मुखिया संघ  की बैठक में यह बताया गया कि सरकार ने पहले वादा किया था कि यदि मुखिया  सुरक्षा की मांग करते हैं और खतरा होने पर सुरक्षा गार्ड और हथियार के लाइसेंस की भी मांग करते हैं तो, उन्हें यह सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. लेकिन स्थिति दिन-प्रतिदिन बद से बदतर होती चली गई और प्रशासन मूक बधिर बन तमाशा देखती रही. प्रशासन के इन घटनाओं के प्रति बेपरवाह होने के कारण ही अपराधियों का मनोबल ऊंचा हो गया. संघ ने साफ चेतावनी दी है कि अगर बिहार सरकार समय रहते फैसला नहीं लेती है तो पंचायत प्रतिनिधि सड़कों पर उतरेंगे और सरकार मुश्किलों में आ जाएगी . इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि जनप्रतिनिधियों को हथियार का लाइसेंस देने के साथ मृतकों के परिजनों को 20  लाख का मुआवजा भी दिया जाए.

रिपोर्ट: किक्की सिंह