टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : दोषियों और अपराधियों की पहचान से जुड़े क्रिमिनल प्रोसीजर आइडेंटिफिकेशन बिल को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिल गई है. इस बिल को लेकर राज्यसभा में बुधवार को जमकर हंगामा भी हुआ था. हालांकि, बाद में इसे ध्वनिमत से पास करा लिया गया. इससे पहले सोमवार को ये बिल लोकसभा से पास हो गया था. अब राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद ये कानून बन जाएगा. 

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने बताया क्यों बनाया गया नया कानून

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने बताया कि अपराधियों की पहचान वाला कानून 1920 में बना था. अब वह 102 साल पूराना हो चुका  हैं. उस कानून में सिर्फ फिंगरप्रिंट और फुटप्रिंट का ही रिकॉर्ड रखने की इजाजत थी. उन्होंने यह भी कहा कि समय के साथ न सिर्फ तकनीकी और वैज्ञानिक बदलाव हो रहे हैं, बल्कि अपराध भी बढ़ रहे हैं, इसलिए नया बिल लाया जा रहा है.इस नए कानून में फिंगरप्रिंट, फुटप्रिंट, हथेलियों के प्रिंट, फोटो, आंखों का आइरिस और रेटिना, फिजिकल और बायोलॉजिकल सैंपल, हैंडराइटिंग और सिग्नेचर का रिकॉर्ड रखा जाएगा.

वहीं इस बिल में राजनीतिक बंदियों का कोई रिकॉर्ड नहीं लिया जाएगा. अगर किसी मामले में 7 साल से कम सजा है और महिला या बच्चों से जुड़ा अपराध नहीं है, तो अपराधी को बायोलॉजिकल सैंपल देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता. बाकी सैंपल लिए जाएंगे.

रिपोर्ट : किक्की सिंह