नालंदा(NALANDA): एक तरफ बिहार सरकार दावा करती है कि बिहार में बहार है तो वहीं दूसरी ओर बिहार के मुख्यमंत्री के गृह जिले से ही ऐसी तस्वीर सामने आई है, जो इस पूरे दावे की पोल खोल रही है. सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के लाख-दावे कर लें. मगर सुधार होता नहीं दिख रहा है. मामला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले के हिलसा अनुमंडलीय अस्पताल का है, जहां मौत के बाद भी युवक को एंबुलेंस नसीब नहीं हुई. नतीजतन परिजनों को ठेले पर लादकर शव को ले जाना पड़ा. परिजन की मानें तो हिलसा के पासवान टोली निवासी अशोक पासवान के 30 वर्षीय दिव्यांग पुत्र अमरजीत कुमार की तबियत अचानक खराब हो गयी थी. इसके बाद परिजन आनन-फानन में सब्जी बेचने वाले ठेले पर ही उसे लादकर किसी तरह अस्पताल पहुंचे. जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

अस्पताल ने नहीं कराया एम्बुलेंस उपलब्ध

युवक की मौत की खबर से परिजनों में कोहराम मच गया. डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मी एम्बुलेंस उपलब्ध कराने के बजाय शव को वापस ले जाने को कहने लगे. अस्पताल के आस-पास भी शव को ले जाने के लिये परिजनों को वाहन नहीं मिला. मजबूरी में परिजन शव को ठेला पर लेकर ही घर निकल गए. हिलसा अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. आरके राजू ने बताया कि एम्बुलेंस का अभाव पहले से ही है. इसके लिए वरीय अधिकारियों से मांग की गयी है. यहां काफी मरीज आते हैं. पर्याप्त एम्बुलेंस नहीं होने से मरीजों को परेशानी होती है. यहां शव को ले जाने के लिए भी वाहन होनी चाहिए. फिलहाल, यहां मात्र एक एम्बुलेंस उपलब्ध है. उससे ही काम चलाया जा रहा है. इसके पहले भी कई बार कंधे पर, खाट पर, रिक्शा पर शव ले जाने की घटना बिहार में हो चुकी है. मगर, सरकारी व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है और ना ही सरकार और प्रशासन ही इसके सुधार के लिए कोई कोशिश करती हुई आ रही है.