हाजीपुर (HAJIPUR) : नौ महीने कोख में पलने वाले बच्चे की मौत चंद दिनों में हो जाए तो मां समेत परिजनों का दर्द सहज समझा जा सकता है. ऐसे में आंखों के सामने जन्मे बेटे की मौत के बाद नवजात लड़की का शव थमा दिया जाए ताे दोहरा धक्का झेलना कितना कठिन होगा. जी हां, ऐसा ही कुछ हुआ है हाजीपुर के सदर अस्पताल में. यहां बेटे की मौत की सूचना के बाद नवजात बच्ची का शव  थमाने का आरोप अस्पताल कर्मियों पर लगा है. आरोप है कि जीवित मेल बच्चे को इलाज के लिए सदर अस्पताल के बच्चा वार्ड में भर्ती कराया गया था. लेकिन चार दिनों के इलाज के बाद जब बच्चे की मौत हुई तो वह मेल से फीमेल बन चुका था. यह आरोप मृत बच्चे के परिजन लगा रहे हैं.

यह है मामला

मामले की गंभीरता को देखते हुए डीएस डॉ. एसके वर्मा ने जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया. बताया गया कि 14 अप्रैल को राजापकड़ थाना क्षेत्र के रहने वाले मुहमम्द यूसुफ अपनी बहू को डिलीवरी के लिए लेकर बिदुपुर जा रहे थे. इसी क्रम में रास्ते में ही बच्चे का जन्म हो गया. जिसके बाद बच्चे को लेकर सभी सदर अस्पताल पहुंचे. जहां बच्चे को कमजोर बताकर इलाज के लिए एसएनसीयू में भर्ती कर लिया गया. 3 दिनों तक बच्चे के परिजन लगातार बच्चे से मिलते रहे. इंट्री करने वाले रजिस्टर से लेकर पर्चे तक पर बच्चे का लिंग मेल लिखा गया. चौथे दिन के 10 : 00 बजे सदर अस्पताल के नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई की ओर से बताया गया कि बच्चे की हालत नाजुक है. जिसके लगभग डेढ़ घंटे बाद बच्चे की मौत की सूचना दी गई. लेकिन जब बच्चे का शव दिया गया तो तीन रातों में ही बच्चा मेल से फीमेल हो चुका था. जिसको लेकर मृत बच्चे के परिजनों ने हंगामा कर दिया. बात बढ़ी तो मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रभारी सिविलसर्जन ने तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन कर दिया. घटना के विषय में मृत बच्चे की दादी कुलसुन खातून ने बताया कि उनके सामने ही गाड़ी में लड़का जन्म लिया था. जिसके मरने की सूचना के बाद जब बच्चे का शव मांगा गया तो बच्ची का शव दे दिया गया है. वहीं डीएस डॉ. एसके वर्मा ने बताया कि घटना के संदर्भ में जानकारी मिली है. जांच की जा रही है, डॉ. की टीम को जांच का जिम्मा दिया गया है.