TNP DESK: बिहार की राजनीति पर पूरे देश की नजर रहती है. इस बार का विधानसभा चुनाव तो कुछ खास होगा.  बिहार की राजनीति लालू प्रसाद के परिवार के बिना अधूरी कही जाती है. लालू प्रसाद यादव बिहार की राजनीति के धूरी रहे है. परिवारवाद का उनपर आरोप लगते रहे  है लेकिन वह इन सब से बेफिक्र रहते है. फिलहाल उनका स्वास्थ्य साथ नहीं दे रहा है. इस वजह से विपक्षियों को भी वह अपने पुराने अंदाज में साध नहीं पा रहे है. इधर, सुगबुगाहट यह जरूर दिख रही है कि लालू प्रसाद के परिवार में "उत्तराधिकार" की लड़ाई चुनाव के पहले अथवा चुनाव के बाद तेज हो सकती है. 

फिलहाल लालू यादव के परिवार के पांच हैं राजनीति में सक्रिय 
 
लालू प्रसाद परिवार में तेज प्रताप यादव, तेजस्वी यादव, मीशा  भारती, रोहिणी आचार्य ,राबड़ी देवी राजनीति में है.  लेकिन लालू प्रसाद यादव चाहते हैं कि उनका छोटा बेटा तेजस्वी यादव राजनीति में आगे बढ़े. कहा जा सकता है कि लालू प्रसाद यादव का "आशीर्वाद" तेजस्वी यादव के साथ है.  यह अलग बात है कि लालू प्रसाद परिवार को लेकर चर्चाएं तो कई पहले से ही होती रही. इधर, तेज प्रताप यादव को पार्टी और घर से निकालने  की घोषणा के बाद परिस्थितियों में बदलाव हुआ  है. हालांकि तेज प्रताप यादव चुनाव के पहले दबाव बनाए हुए है. वह आर-पार की लड़ाई की बात भी गाहे -बेगाहे कर रहे है. वह चुनाव लड़ने की भी घोषणा कर चुके है. 

अभी सोशल मीडिया पर ही है तेजप्रताप के निष्कासन की चिठ्ठी 
 
पेंच यह है कि तेज प्रताप यादव के निष्कासन की चिट्ठी विधानसभा अध्यक्ष तक नहीं पहुंची है. इसलिए भी कहा जा रहा है कि बात बिगड़ने पर संभालने का रास्ता बचा कर रखा गया है. सबसे  पहले लालू प्रसाद ने सोशल मीडिया एक्स  पर पार्टी और परिवार से निकालने  की घोषणा की, फिर बाद में पार्टी की ओर से निकाले  जाने का पत्र जारी किया गया.  इसके पीछे क्या कहानी है या यह  केवल दिखावा है, यह आने वाला वक्त और परिस्थितियां बताएंगी. तेज प्रताप यादव ने अपने पुराने चुनाव क्षेत्र महुआ से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. ऐलान कर दिया है कि महुआ की जनता उन्हें ही चुनेगी ,सामने चाहे आरजेडी का ही कोई क्यों न हो. उसके बाद कई तरह की बातें  सामने आ रही है. वैसे तो लालू प्रसाद की बेटी मीशा  भारती की इच्छा भी बिहार की राजनीति में धमक बढ़ाने की जरूर होगी. 
 
रोहिणी आचार्य भी लड़ सकती है विधानसभा का चुनाव 

रोहिणी आचार्य भी राजनीति में नई है. हो सकता है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में वह भी चुनाव लड़े,  अगर 2025 के विधानसभा चुनाव में रोहिणी आचार्य को सफलता मिलती है तो एक और दावेदार बढ़ सकता है. वैसे कहा जा सकता है कि लालू प्रसाद,अपने बड़े बेटे  तेज प्रताप यादव को किनारा कर तेजस्वी के लिए रास्ता बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वह इसमें कितना सफल होंगे, यह आने वाला समय ही बता सकता है. कई मौके पर लालू प्रसाद कह चुके हैं कि वह सीएम की कुर्सी पर तेजस्वी यादव को देखना चाहते है. वैसे भी राजनीतिक दलों में विरासत की लड़ाई होती रहती है.  लेकिन बिहार चुनाव के पहले लालू प्रसाद के परिवार में विरासत की लड़ाई छिड़ी तो यह "संकटकाल" कहा जाएगा. तेजस्वी यादव की भी परेशानी बढ़ सकती है. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो