रांची (RANCHI): झारखंड के संताल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर मामला गरमाया है. इसको लेकर पक्ष-विपक्ष भी आमने-सामने है. भाजपा के दावों के मुताबिक मुसलमानों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि और आदिवासियों की संख्या में कमी आयी है. वहीं, इस मामले को लेकर दायर जनहित याचिका पर केंद्र सरकार ने झारखंड हाईकोर्ट में हलफनामे के जरिए अपना जवाब दाखिल किया. शपथपत्र में बताया गया है कि संताल की डेमोग्राफी में आदिवासी आबादी की हिस्सेदारी में 16 फीसदी की गिरावट आई है. यहां आदिवासियों की आबादी 44 प्रतिशत थी जो अब घटकर 28 प्रतिशत रह गई है. केंद्र सरकार ने आदिवासियों की आबादी में कमी आने के दो मुख्य कारण बताए हैं. जिनमें पलायन और धर्मांतरण शामिल है.
केंद्र सरकार ने भी अपने जवाबी हलफनामे (counter affidavit) में संथाल भूमि कानून की खामियों का जिक्र किया है, यहां आदिवासियों की जमीन दान पत्र के जरिए गैर आदिवासियों को दे दी जाती है. इसी आधार पर मुसलमान जमीन ले रहे हैं. दाखिल शपथपत्र (Affidavit) में 18 जुलाई 2024 को पाकुड़ में जमीन को लेकर हुए विवाद का जिक्र है. हालांकि केंद्र ने यह भी कहा है कि जमीन संबंधी मामलों में बांग्लादेशियों की संलिप्तता की पुष्टि अभी तक नहीं हुई है.
इन जिलों में बढ़ी सबसे अधिक मुस्लिम आबादी
केंद्र सरकार ने अपने जवाब में इस तथ्य को स्वीकार किया है कि इस प्रमंडल के छह जिलों की जनसांख्यिकी (Demographics) में पिछले वर्षों में बदलाव आया है. मुस्लिम पॉपुलेशन (muslim population) में 20 से 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. पाकुड़ और साहिबगंज में मुस्लिम आबादी सबसे अधिक बढ़ी है. ईसाइयों की संख्या में छह हजार गुना तक की वृद्धि हुई है.
डेमोग्राफी हो रही प्रभावित
बताते चलें कि इससे पहले 5 सितंबर को याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से दलील देते हुए सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता ने कहा था कि संथाल परगना (Santhal Parganas) में बांग्लादेशियों की घुसपैठ की स्थिति चिंताजनक है. जिसके चलते इलाके की डेमोग्राफी प्रभावित हो रही है. यही वजह है कि आदिवासी आबादी के प्रतिशत में गिरावट एक गंभीर मुद्दा है. घुसपैठिए झारखंड के रास्ते देश के दूसरे राज्यों में घुसकर वहां की आबादी को प्रभावित कर सकते हैं.
नागरिकता का आधार नहीं UIDAI
कोर्ट के निर्देश पर केंद्रीय एजेंसी यूआईडीएआई ने भी इस मामले में अपना पक्ष दाखिल किया है, जिसमें कहा गया है कि आधार नंबर के जरिए किसी व्यक्ति की पहचान करना पूरी तरह संभव है. हालांकि ये भी कहा कि यह किसी की नागरिकता का आधार नहीं हो सकता.
जानें क्या है जनहित याचिका में
दरअसल, डेनियल दानिश नामक व्यक्ति ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. उनका तर्क है कि बांग्लादेशी घुसपैठ के कारण संथाल की जनसांख्यिकी बदल रही है. उस इलाके में मदरसों की संख्या बढ़ गई है. आदिवासियों के साथ वैवाहिक संबंध बन रहे हैं. इसलिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को यह बताना चाहिए कि बांग्लादेशी संथाल में कैसे घुस रहे हैं. अब इस मामले में 17 सितंबर को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ में विस्तृत सुनवाई होगी.

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