Ranchi-कांग्रेस कोटे से हेमंत सरकार में कृषि मंत्री बादल पत्रलेख और केन्द्रीय मंत्री अश्विनी चौबे की बंद कमरे के मुलाकात के बाद झारखंड की सियासत में एकबारगी भूचाल आता दिख रहा है, और इस बात की चर्चा तेज हो चुकी है कि 2024 के पहले पहले भाजपा बादल पत्रलेख सहित करीबन आधा दर्जन कांग्रेसी विधायकों को अपने पाले में खड़ा कर झामुमो को बड़ा झटका देने की तैयारी में है.   ध्यान रहे कि इसके पहले भी कई कांग्रेसी विधायकों के पाला बदलने की चर्चा चलती रही है, इसमें सबसे ताजा नाम बादल पत्रलेख का है. यदि पुराने सभी नामों को जोड़ दें तो यह संख्या करीबन आधा दर्जन तक पहुंचती है, इसमें करीबन दो मंत्री और चार विधायक शामिल हैं.  

लेकिन यहां मुख्य सवाल यह है कि बादल पत्रलेख के इस पाला बदल का जरमुंडी विधान सभा में कांग्रेस और झामुमो की सियासत पर क्या असर पड़ेगा. हालांकि अभी तक जरमुंडी विधान सभा में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होता रहा है, यहां झामुमो कांग्रेस के साथ खड़ी नजर आती रही है, लेकिन अब जब कि एक के बाद एक कांग्रेसी विधायकों के द्वारा पाला बदल की खबरें सामने आ रही है, उस हालत में जरमुंडी के लिए कांग्रेस भाजपा के पास क्या प्लान है.

क्या कहता है सामाजिक समीकरण

यहां ध्यान रहे कि चाणक्या डाट कौम के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार जरमुंडी विधान सभा  में एससी-10फीसदी, एसटी-17 फीसदी, मुस्लिम-12 फीसदी, यादव- 5 फीसदी, महतो-5-फीसदी, मंडल 7 फीसदी है, इन आंकड़ों से साफ है कि इस विधान सभा में एससी, एसटी पिछड़े सहित अल्प संख्यक मतदातोँ की भारी मौजदूगी है, यहां प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला इन सामाजिक समूहों को हाथों ही होना है.

बादल पत्रलेख के टूटने के बावजूद मजबूत साबित हो सकता है कांग्रेस झामुमो की यह जुगलबंदी

इस हालत में यह आकलन कि बादल पत्रलेख को तोड़ कर भाजपा जरमुंडी में कांग्रेस झामुमो के सामने कोई बड़ा संकट खड़ा कर देगी, एक गलत आंकलन साबित हो सकता है. सामाजिक समीकरण के हिसाब के कांग्रेस झामुमो की युगलबंदी नतीजों को अपने पक्ष में करने में सक्षम है. भाजपा बादल पत्रलेख को अपने साथ शामिल करवा सकती है, लेकिन इस सामाजिक आधार को तोड़ना आज भी उसके लिए एक गंभीर चुनौती है. और भी उस हालत में जब बिहार में जातीय जनगणना के आंकड़ों के प्रकाशन के बाद सियासी भूचाल आया हुआ है, इस हालत में बिहार से बेहद नजदीक स्थित जरमुंडी विधान सभा इससे अछूता रहेगा, यह मानना और थोड़ा कठीन है.

कांग्रेस झामुमो के पास चेहरा कौन

लेकिन मुख्य सवाल यह है कि बादल पत्रलेख के पाला बदल के बाद कांग्रेस झामुमो के पास चेहरा कौन होगा. हालांकि यह कहना अभी थोड़ा कठीन है, और इसके कई समीकरण है, यह नहीं भूलना चाहिए कि जरमुंडी में करीबन 17 फीसदी आदिवासी मतदाता हैं, और इन मतदाताओं पर आज की तारिख में झामुमो की मजबूत पकड़ हैं, विपरीत परिस्थितियों में कांग्रेस यहां भाजपा की तरफ से बैंटिग करते रहे देवेन्द्र कुंवर पर भी अपना दांव लगा सकती है, लेकिन सवाल यह भी है कि क्या बादल पत्रलेख के पाला बदल के बाद झामुमो इस सीट को अपने पास रखने का दांव नहीं आजमायेगी.

 

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