पटना(PATNA)- नियोजित शिक्षकों को राज्यपत्रित कर्मचारी का दर्जा देने के पहले परीक्षा पास करने की नीतीश सरकार की नयी नियमावली के खिलाफ महागठंबधन के अन्दर दरार पड़ता दिख रहा है. पालीगंज से माले विधायक संदीप सौरभ ने नीतीश सरकार की इस नीति को टेट पास शिक्षकों के खिलाफ वादाखिलाफी करार दिया है.
अंतिम समय में जोड़ा गया यह पारा
संदीप सौरभ ने कहा है कि लगता है कि नियमावली में इस पारा का अंत समय में अधिकारियों के द्वारा जोड़ दिया गया है, जबकि राजद ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में इन शिक्षकों को राज्यपत्रित कर्मचारी का दर्जा देना का वादा किया था, फिर अचानक क्या हुआ कि इस घोषित नीति में बदलाव की नौबत आ पड़ी, सरकार बार-बार इन नौजवानों से परीक्षा लेने की नीति पर क्यों चल पड़ी है. इन नौजवानों ने तो महागठबंधन इस आशा में समर्थन किया था कि तेजस्वी की सरकार बनते ही उनका दुख-दर्द दूर हो जायेगा. लेकिन सरकार की इस नीति से उनके सामने एक दीवार खड़ी हो गयी है.
बीपीएससी का नाम सुन भयभीत है शिक्षक
उन्होंने कहा कि सरकार अब कह रही है कि बीपीएससी की ओर से एक परीक्षा का आयोजन होगा और इस परीक्षा में सफल शिक्षकों को राज्यपत्रित कर्मचारी का दर्जा दिया जायेगा. लेकिन बीपीएससी का नाम सुन कर ही इन शिक्षकों में भय की स्थिति है. सरकार के इस फैसले से शिक्षकों की कई श्रेणियां निर्मित हो जायेगी, क्योंकि यह तो साफ है कि असफल शिक्षकों को सरकार सेवा मुक्त करने नहीं जा रही है, फिर ये असफल शिक्षक किस मनोभाव से अपना शिक्षण कार्य करेंगे. और छात्रों के बीच उनकी क्या साख होगी? संदीप सौरभ ने कहा कि जल्द ही सीपीआई (एमएल) एल इस मामले में बैठक करने जा रही है. जिसके बाद सरकार से इस मुद्दे पर बात की जायेगी.
जनाधार बढ़ाने की कोशिश
संदीप सौरभ के स्टैंड से साफ है कि नियोजित शिक्षकों के सवाल पर महागठबंधन के अन्दर सब कुछ ठीक नहीं है, साथ ही सीपीआई (एमएल) नियोजित शिक्षकों के समर्थन में उतर कर ना सिर्फ सरकार की मुश्किलें खड़ा करने की कोशिश में है, बल्कि उसकी नीति इस सवाल के बहाने अपने जनाधार में विस्तार की भी है.
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