टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : सीबीआई के विशेष न्यायधीश एसके शशि की अदालत ने 950 करोड़ रुपए के बहुचर्चित चारा घोटाले केस में से एक डोरंडा ट्रेजरी से गबन के मामले में 15 फरवरी को फैसला के लिए तिथि तय की है. मामले में RJD सुप्रीमो और बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव भी आरोपी हैं. कोर्ट के फैसले पर  लोगों की निगाहें  टिकी हैं कि क्या 5वें केस में भी लालू दोषी करार दिए जाएंगे या बरी हो जाएंगे. बता दें कि इससे पहले लालू को चार अन्य मामले में दोषी करार दिया जा चुका है. राजद सुप्रीमो 6 बार जेल भी जा चुके हैं. दुमका ट्रेजरी मामले में इन दिनों जमानत पर बाहर हैं.

जब मोपेड पर ढोए गए सांड-भैंस

बता दें कि डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपए की अवैध निकासी हुई थी. मामले की शुरुआत में 170 आरोपी थे जिनमें से 55 आरोपी की मौत हो गई है. अफसरों और नेताओं की मिलीभगत से बुना गया गबन यह ताना-बाना नब्बे के शुरुआती दशक में देश में खासा चर्चित हुआ. 400 सांड को हरियाणा और दिल्ली से स्कूटर और बाइक पर ढोकर रांची पहुंचाने की बात कागजों पर दिखी ताकि बिहार में अच्छी नस्ल की गाय और भैंसों की उपलब्धता हो सके. पशुपालन विभाग ने 1990-92 के दौरान  2,35,250 रुपए में 50 सांड, 14,04825 रुपए में 163 सांड और बछिया खरीदी.  क्रॉस ब्रिड बछिया और भैंस के लिए 84 लाख,93 हजार, 900 रुपए का भुगतान किया था. इसी तरह भेड़ और बकरी की खरीदारी पर भी लाखों रुपए खर्च किए. खास बात यह रही कि  पशुओं और पशुचारा, भूसा, पुआल आदि लाने के लिए भी जिन वाहनों को दर्शाया वे जांच के दौरान स्कूटर, बाइक, मोपेड के नंबर निकले. जांच के दौरान सीबीआई ने कहा था कि यह सामान्य आर्थिक भ्रष्टाचार नहीं, गहरा षड्यंत्र है जिसमें सूबे के कर्मचारी, नेता, व्यापारी सबकी भागीदारी रही. बिहार के दो पूर्व सीएम की गिरफ्तारी इस मामले में हुई. लालू यादव के अलावा जगन्नाथ मिश्र भी मामले में गिरफ्तार हुए थे.

चाईबासा में पहली बार हुआ खुलासा

चाईबासा के डीसी अमित खरे ने वर्ष 1996 में पहली बार पशुपालन घोटाले का खुलासा किया था. बाद में कई जिलों से चारा के नाम पर बड़े घोटाले का मामला खुलता गया. पहला मामला मार्च 2012 में चारा घोटाले से जुड़े एक केस में 44 लोगों के खिलाफ चार्जशीट के साथ दर्ज हुआ.