PATNA:  राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता.  लालू प्रसाद यादव पर मुख्यमंत्री आवास में अपहरण की डील करने का आरोप लगाकर सनसनी फैलाने वाले सुभाष यादव के खिलाफ अब उनके बड़े भाई साधु यादव उतर गए है.  कहा है कि इतने सालों  बाद उनकी आंखें क्यों खुली? इतने वर्षों तक चुप क्यों थे? इधर ,सुभाष यादव के आरोपों  के बाद एनडीए भी लालू प्रसाद के परिवार पर हमला तेज कर दिया है. यह सब हो रहा है ठीक विधानसभा चुनाव के  पहले.  पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के सगे भाई पूर्व राज्यसभा सांसद सुभाष यादव ने राजत सुप्रीमो पर कई गंभीर आरोप लगाकर बिहार में सनसनी पैदा कर दी है.  

एनडीए  को अब मिल गया है एक बड़ा मुद्दा 

सुभाष यादव ने आरोप लगाया कि लालू प्रसाद के कार्यकाल में मुख्यमंत्री आवास में अपहरण कांडों की डील होती थी और अपराधियों को संरक्षण दिया जाता था.  यहां बताना यह जरूरी है कि राजद  शासन काल में सुभाष यादव लालू प्रसाद के काफी करीब रहे और सत्ता में उनकी अच्छी हनक थी.  पिछले एक दशक से भी अधिक समय से सुभाष यादव और लालू प्रसाद के परिवार के बीच 36 का आंकड़ा है.  सुभाष यादव के इस बयान ने एनडीए  को एक मुद्दा दे दिया है.  लालू प्रसाद यादव के दूसरे साले  पूर्व  सांसद साधु यादव ने अपने भाई के आरोपों  को निराधार बताते हुए कहा है कि सुभाष यादव खुद बताएं कि वह अब तक क्या कर रहे थे? सुभाष यादव ने आरोप लगाया है  कि पूरे बिहार में उस समय अपराधियों को पाला जाता था.  

जबरिया गाड़ी उठवाने का भी लगाया है आरोप 

उन्होंने मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए   लालू प्रसाद यादव पर अपनी बेटी की शादी में गाड़ी जबरिया उठवाने  का आरोप लगाया है.  जब उनसे यह पूछा गया कि आपकी भी तो भगनी थी, तो सुभाष यादव ने कहा कि  जरूरत तो लालू प्रसाद यादव को थी गाड़ी की.  मामा  को जरूरत नहीं थी.  जब यह पूछा गया कि अपहरण करवाने का  आरोप  तो आप पर भी लगा था ,तो सुभाष यादव ने उसे गलत बताया.  दूसरी ओर लालू प्रसाद के दूसरे साले  साधु यादव ने कहा कि सब  आरोप  गलत है.  इसे सिरे  से खारिज किया जा सकता है.  इतने सालो  बाद उनकी आंखें क्यों खुली है? क्या कर रहे थे  इतने दिनों तक?  इधर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि सच सामने लाने के लिए सुभाष यादव को धन्यवाद.  साधु यादव एवं सुभाष यादव दोनों उस समय मुख्यमंत्री निवास और मुख्यमंत्री के काफी नजदीक थे.  इसलिए अगर वह कुछ खुलासा कर रहे हैं, तो  वह बिहार के लोगों के बीच जाना चाहिए. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो