टीएनपी डेस्क(TNP DESK): बिहार की शिक्षा व्यवस्था किसी से छुपी हुई नहीं है. कभी विभाग की गलती होती है तो कभी यहां के हेड मास्टर और शिक्षक ही गोलमाल कर देते है, एक ऐसा ही मामला बिहार के बांका जिले से सामने आया है. जहां दो टीचर फर्जी तरीके से हाजिरी लगाने के मामले में पकड़ी गई है. जानकारी के मुताबिक यह दोनों टीचर स्कूल आए बिना ही ई शिक्षा कोष ऐप से अपनी अटेंडेंस को बनाती थी. शिक़ायत मिलने पर जब इसकी जांच की गई तो ख़ुलासा हुआ कि दोनों काफी समय से विभाग को धोखा दे रही थी. साथ बच्चों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ कर रही थी. दोनों फर्जी तरीके से हाजिरी तो बनाती ही थी. स्कूल कैंपस के बाहर से ही फोटो अपलोड कर देती थी.

पढ़ें क्या है पूरा मामला

दरसल पूरा मामला बांका जिले के बेलहर प्रखण्ड के पोन्नत मध्य विद्यालय कुराबा की है. जहां की शिक्षिका प्रिया मधु और बाराहाट प्रखण्ड के उत्क्रमित उच्च विद्यालय महुआ की शिक्षिका संध्या कुमारी को फर्जी तरीके से हाजिरी बनाने के मामले में पकड़ा गया है. दोनों से ही सबूत के साथ तीन दिन के अंदर जवाब देने का आदेश दिया गया है. बताया जा रहा है कि प्रिया मधु 13 से 20 मई तक की उपस्थिति शक के घेरे में है. जांच में पता चला है कि वह इन दिनों स्कूल में नहीं थी. उन्हें बांका जिले की सीमा से बाहर से मोबाइल ऐप से हाजिरी लगा रही थी और इनके फोटो भी स्कूल परिसर से मेल नहीं खाते है.

इस मकसद से लान्च किया गया था ई शिक्षा कोष ऐप

आपको बतायें कि बिहार सरकार की ओर से शिक्षकों की उपस्थिति को सुनिश्चित करने और शिक्षा व्यवस्था को सुधारने को लेकर ई शिक्षा कोष ऐप को लॉन्च किया गया था, लेकिन उन्हें क्या पता था कि बिहार के शिक्षक इसमे भी घोटाला कर देंगे. जिस तरीके से दोनों शिक्षक फर्जी तरीके से हाजिरी बनाने के मामले में पकड़ी गई है वह काफी सारे सवाल खड़े करती है, सुत्रों की मानें तो कई शिक्षक लोकेशन स्पूफिंग ऐप और फोटो एडिटिंग टूल से विभाग को धोखा दे रहे है.

ऐसे शिक्षकों को नहीं छोड़ेगा विभाग

वहीं डीपीओ स्थापना संजय कुमार ने कहा है कि विभाग को धोखा देने वाले शिक्षकों को नहीं छोड़ा जाएगा. एक विशेष सेल बनाई गई है जो शिक्षकों को डिजिटल उपस्थिति को मैनुअल अभिलेखों से मिलकर जांच कर रही है. जिसमें एक दर्जन से ज्यादा शिक्षक सवालों के घेरे में है. अगर इनकी गलती निकली तो फिर निलंबन के साथ वेतन रोकने जैसी कार्रवाई हो सकती है.