धनबाद(DHANBAD): नया साल आते-आते बंगाल में चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी. बिहार चुनाव परिणाम से उत्साहित भाजपा बंगाल फतह की पूरी कोशिश करेगी, इसमें किसी को कोई शक -सुबहा होनी नहीं चाहिए. दूसरी ओर ममता दीदी भाजपा को रोकने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगी. अभी से ही वह भाजपा के तरकश के हर एक तीरों का जवाब देना शुरू कर दिया है. फिर सवाल उठता है कि क्या ममता दीदी इस बार बंगाल पर फिर से काबिज होने के लिए हर वह कदम उठाएगी, जहां से उन्हें जीत की कोई भी रोशनी दिखे.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन,ममता दीदी के अच्छे दोस्त हो सकते है
ऐसे में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उनके अच्छे दोस्त हो सकते है. बंगाल के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस और झामुमो हाथ मिला ले, तो कोई आश्चर्य नहीं. झारखंड के सटे जिलों में संथालो की अच्छी आबादी है. निश्चित रूप से तृणमूल कांग्रेस कोशिश करेगी कि झारखंड के संपर्कों का चुनाव में लाभ लिया जाए. ममता बनर्जी और हेमंत सोरेन के संबंध भी मधुर है. बिहार में तो झारखंड मुक्ति मोर्चा को महागठबंधन ने झटका दे दिया, लेकिन बंगाल में इस बार हो सकता है कि तृणमूल कांग्रेस और झामुमो हाथ मिला ले. वैसे भी झामुमो पश्चिम बंगाल में संथाल बहुल विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ता रहा है.
2026 के मार्च -अप्रैल में पश्चिम बंगाल में विधानसभा का चुनाव हो सकता है
सूत्रों के अनुसार 2026 के मार्च -अप्रैल में पश्चिम बंगाल में विधानसभा का चुनाव हो सकता है. अब ज्यादा वक्त नहीं है. भाजपा तो पूरी तरह से सक्रिय हो गई है. भाजपा की योजना है कि बिहार की तरह बंगाल में भी झारखंड के भाजपा नेताओं को लगाया जाए. झारखंड के कोयलांचल और संथाल परगना में बंगाल की सीमाएं लगती है. रोज का संपर्क भी है. सामाजिक और सांस्कृतिक जुड़ाव भी है. झारखंड के धनबाद- बोकारो में तो बंगाल के पश्चिम बर्दवान और पुरुलिया की सीमाएं मिलती है. संथाल परगना से मालदा और वीर भूम जैसे पश्चिम बंगाल के बड़े जिलों की सीमाएं सटती है. इन जिलों की दर्जनों विधानसभा सीटों में झारखंड का सामाजिक ,सांस्कृतिक और आर्थिक प्रभाव है. वैसे कहां जाए तो बंगाल का सीधा संपर्क झारखंड से है.
बंगाल के बड़ी संख्या में लोग झारखंड की कोयला कंपनियों में काम करते है
बड़ी संख्या में बंगाल के लोग झारखंड की कोयला कंपनियों में काम करते है. झारखंड के कई जिलों में बंगाली परिवार सामाजिक सरोकारों में सक्रिय है. भाजपा की योजना है कि इन्हीं संपर्कों का उपयोग बंगाल के चुनाव में किया जाए तो ममता दीदी भी पीछे रहने वाली नहीं है. हो सकता है कि वह झामुमो के साथ हाथ मिलाकर चुनाव मैदान में उतर जाए. ऐसे में भाजपा को थोड़ी परेशानी हो सकती है. वैसे भी झारखंड में अभी झामुमो का परचम लहरा रहा है. देखना है कि बंगाल में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस प्रहार और बचाव के क्या-क्या उपाय करते है. लेकिन बंगाल के कई विधानसभा सीटों में झारखंड मुक्ति मोर्चा की पकड़ अभी भी बनी हुई है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो

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