टीएनपी डेस्क (TNP DESK): बांग्लादेश की राजनीति के सबसे चर्चित मामलों में से एक का अंत आज उस फैसले के साथ हुआ जिसने पूरे देश को झकझोर दिया. इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल-1 ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को जुलाई–अगस्त 2024 के आंदोलन के दौरान हुई हिंसा, हत्याओं और दमनात्मक कार्रवाइयों से जुड़े मानवता-विरोधी अपराधों में दोषी मानते हुए मौत की सजा दी. तीन सदस्यीय पीठ ने अपने 400 पन्नों के फैसले में हसीना को घटनाओं की ‘मुख्य साजिशकर्ता’ करार दिया और कहा कि उन्होंने न सिर्फ दमन का निर्देश दिया बल्कि उसे रोकने की कोई कोशिश भी नहीं की.
अदालत के अनुसार, आंदोलन के दौरान बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों की मौत हुई और हसीना पर बम एवं घातक हथियारों के उपयोग तक की अनुमति देने का आरोप है. ट्राइब्यूनल हसीना के खिलाफ जुटाए गए करीब 10,000 पन्नों के दस्तावेज, 80 से ज्यादा गवाहों की गवाही और वीडियो–ऑडियो साक्ष्यों की विस्तृत सुनवाई कर रहा है, जिसके कारण मामला लंबा खिंच गया. फैसला हसीना और पूर्व गृह मंत्री असदुज्जामान की गैरहाजिरी में सुनाया गया, क्योंकि दोनों को भगोड़ा घोषित किया जा चुका है.
ढाका में सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं. पिछले हफ्ते 40 से अधिक आगजनी की घटनाओं और कई बम धमाकों के बाद पुलिस को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि आगजनी या विस्फोट की कोशिश करने वालों पर तुरंत गोली चलाई जाए. उधर, फैसले से पहले जारी एक संदेश में शेख हसीना ने सभी आरोपों को आधारहीन बताते हुए लिखा कि उन्हें फैसले की किसी तरह की परवाह नहीं है.
अभियोजन पक्ष के गाजी MH तमीम ने मीडिया को बताया कि उन्होंने अदालत से हसीना को सर्वोच्च दंड देने की मांग की है. साथ ही दोषियों की संपत्तियों को जब्त कर पिछले साल के प्रदर्शनों में मारे गए और घायल लोगों के परिजनों को मुआवजा देने का अनुरोध किया गया है. तमीम के अनुसार, कानून के तहत हसीना तब तक सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं कर सकतीं जब तक वह आत्मसमर्पण न करें या फिर 30 दिनों के भीतर गिरफ्तारी न हो जाए.

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